असल में जवाहरलाल नेहरू के दादा का नाम गयासुद्दीन गाज़ी भी कहा जाता है , जो बाद में अंग्रेजों के भय से अपना नाम बदल कर गंगाधर रख लिए थे। वह मुगलों के दरबार में कोतवाल थे. नेहरू परिवार कश्मीर से नहीं, बल्कि अफगानिस्तान से आया था. 1857 में भारत की आजादी का पहला संग्राम शुरू होने से ठीक पहले गंगाधर नेहरू को दिल्ली का कोतवाल नियुक्त किया गया था. चूंकि उनके बाद ये पद ही खत्म कर दिया गया, इसलिए वह दिल्ली के आखिरी कोतवाल थे. गंगाधर नेहरू और उनकी पत्नी इंद्राणी के पांच बच्चे हुए- मोतीलाल नेहरू, नंदलाल नेहरू, बंसीधर नेहरू, महारानी टकरू और पटरानी जुत्शी।
1857 के गदर के वक्त दिल्ली में बहुत मार-काट हुई. बहुत बर्बादी हुई. हजारों लोगों को जान बचाकर भागना पड़ा. भागने वालों में गंगाधर नेहरू का परिवार भी था. ये लोग भागकर आगरा चले गए. गंगाधर और उनकी पत्नी इंद्राणी के परिवार को पांच बच्चे हुए. दो बेटियां- पटरानी और महारानी. और तीन बेटे- बंसीधर, नंदलाल और मोतीलाल. पिता गुजर गए, तो बड़े भाई ने मोतीलाल की परवरिश की थी. गंगाधर और इंद्राणी की सबसे छोटी औलाद थे मोतीलाल नेहरू.
मोतीलाल को पैदा होने में तीन महीने बचे थे, जब उनके पिता गंगाधर की मौत हो गई. ये साल था 1861. पिता की मौत के बाद परिवार को संभाला बड़े बेटे बंसीधर ने. वो आगरा की सदर दीवानी अदालत में जज के सुनाये फैसलों को लिखने का काम करते थे. आगे चलकर वो खुद सबऑर्डिनेट जज बने.
बंसीधर से छोटे भाई, यानी नंदलाल पहले स्कूल मास्टरी करते थे.उन दिनों आगरा के पास एक छोटी सी रियासत थी- खेतड़ी. यहां के राजा थे फतेह सिंह. नंदलाल को मौका मिला और वो राजा फतेह सिंह के प्राइवेट सेक्रटरी बन गए. आगे चलकर राजा ने उन्हें अपना दीवान बना दिया. नंदलाल राजा के वफादार थे. राजा का कोई बेटा नहीं था. वो एक नौ साल के बच्चे अजीत सिंह को गोद लेना चाहते थे. उनकी ख़्वाहिश थी कि वही बच्चा उनके बाद उनकी गद्दी पर बैठे. राजा की मौत के बाद नंदलाल और कुछ और वफादारों ने बड़ी चालाकी से राजा की आखिरी इच्छा पूरी करने की कोशिश की. इस चक्कर में नंदलाल की नौकरी चली गई. नौकरी चली जाने के बाद नंदलाल खेतड़ी से निकले और उन्होंने वकालत की पढ़ाई की. दादा लक्ष्मी नारायण कौल नेहरू के बाद अब उनके दोनों पोते- बंसीधर और नंदलाल वकील बन चुके थे. नंदलाल भी आगरा कोर्ट में वकालत करने लगे. बचे मोतीलाल. दोनों बड़े भाइयों ने उन्हें पढ़ाने-लिखाने में कोई कसर नहीं छोड़ी. चूंकि मोतीलाल छुटपन में मंझले भाई नंदलाल के साथ रहते थे, तो कुछ दिन उनकी पढ़ाई खेतड़ी में हुई. कॉलेज की पढ़ाई के लिए इलाहाबाद के मुनीर सेंट्रल कॉलेज में दाखिला करवाया गया. कॉलेज के बाद मोतीलाल ने भी वकालत की पढ़ाई करने का फैसला किया. इसके लिए उनको कैम्ब्रिज भेजा गया. 1883 में मोतीलाल कानून की डिग्री लेकर भारत लौट आए. मंझले भाई नंदलाल के साथ मिलकर वह बतौर वकील प्रैक्टिस करने लगे.
मोतीलाल नेहरू की 5 पत्नियाँ थीं।
(1) स्वरूप रानी
(2) थुसु रहमान बाई
(3) मंजुरी देवी
(4) एक ईरानी महिला
(5) एक कश्मीरी महिला
नंबर 1- स्वरूप रानी और को लेकर कोई समस्या नहीं है।एक कश्मीरी पंडित परिवार में जन्मी , स्वरूप रानी लाहौर,ब्रिटिश भारत से आई, और मोतीलाल नेहरू शादी की । पहली पत्नी बनी और बच्चे के जन्म के बाद इसकी मृत्यु हो गई थी ।
नंबर 2 - थुसु रहमान बाई को मुबारक अली से 2 बच्चे पहले से ही मौजूद थे-
(1) शाहिद हुसैन
(2) जवाहरलाल,
भारत से संबंधित होने से रोकने के लिए सुरक्षात्मक दृष्टिकोणवश कश्मीर को अनुच्छेद 370 प्रदान किया गया, ताकि कश्मीर भारत का होकर भी भारत का न हो।
दूसरी पत्नी थुसू रहमान बाई के पहले पति मुबारक अली थे। मोतीलाल की नौकरी, मुबारक अली के पास थी। मुबारक की आकस्मिक मृत्यु के कारण मोतीलाल थुसु रहमान बाई से निकाह कर लिये और परोक्ष रूप से पूरी संपत्ति के मालिक बन गये।मोतीलाल द्वारा इन दोनों बच्चों शाहिद हुसैन और जवाहरलाल को थुसु रहमान बाई से निकाह करने की वजह से अपना बेटा कह दिया गया।
जवाहरलाल की माँ थुसू रहमान बाई थी, लेकिन उनके पिता मुबारक अली ही थे। तदनुसार थुसू रहमान बाई से निकाह करने की वजह से मोतीलाल, जवाहरलाल नेहरू के पालक पिता थे।
नंबर 3- मंजुरि देवी को लेकर कोई समस्या नहीं है।
नंबर 4 - मोतीलाल की चौथी पत्नी एक ईरानी महिला थी, जिसे मुहम्मद अली जिन्ना नामक एक बेटा था। यह गांधी जी और अंग्रेज के दबाव में पाकिस्तान के प्रधान मंत्री बने.
नंबर 5 - मोतीलाल की 5 नंबर वाली पत्नी एक कश्मीरी महिला थी, यह मोतीलाल नेहरु की नौकरानी थी। इससे शेख अब्दुल्लाह नामक एक बेटा था, जो बाद में कश्मीर का मुख्यमंत्री बना था।
वस्तुतः नेहरू, जिन्ना और अब्दुल्ला तीनों भाई मुसलमान थे। पर, जब भारत का बँटवारा होने लगा तो तीनों भाई आपस में झगड़ पड़े, तब..
(1) जवाहर को भारत,
(2) जिन्ना को पाकिस्तान
(3) शेख अब्दुल्ला को कश्मीर दिया गया जो नौकरानी के बेटे के रूप में रहा.
नेहरू फैमिली की पहली विदेशी बहू:-
जवाहर लाल नेहरू के चाचा नंदलाल नेहरू के बेटे बृजलाल ने अपने बेटे की शादी हंगरी की रहनेवाली यहूदी मैग्डोल्ना फ्रीडमैन से 1935 में की थी। मैग्डोल्ना के पति ब्रज कुमार नेहरू वॉशिंगटन डीसी में इंडियन एम्बेसडर रहे। मैग्डोल्ना ने शादी के बाद अपना नाम बदलकर शोभा रखा था। उनका अप्रैल 2017 में 108 साल की उम्र में निधन हुआ। वो कई NGOs से जुड़ी हुई थीं।
नेहरू जी की पहली बुआ : पटरानी:-
पटरानी नेहरू ने लालजी प्रसाद जुत्शी से शादी की थी। दोनों को लाडली प्रसाद नाम का बेटा हुआ। लाडली प्रसाद जुत्शी एक लॉयर थे और आगे चलकर इलाहाबाद स्थित कमला नेहरू हॉस्पिटल के ट्रस्टी बने। 1897 में इन्होंने लाडो रानी जुत्शी से शादी की, जो इलाहाबाद में महिला कॉन्फ्रेंस की फाउंडर रहीं। वो नॉन-कोऑपरेशन मूवमेंट का हिस्सा रहीं। दोनों के चार बेटियां हुईं - चंद्रा कुमारी, जनक कुमारी, मन मोहिनी और श्यामा मोहिनी।
जवाहर नेहरू की दूसरी बुआ: महारानी टकरू :-
मोतीलाल नेहरू की दूसरी बहन महारानी की शादी द्वारका नाथ टकरू से हुई। दोनों को एक बेटा हुआ- महाराज बहादुर टकरू।
जवाहर लाल के ताऊजी : बंसीधर नेहरू:-
ये सबऑर्डिनेट जज रहे। इनके तीन बेटे हुए- राज बहादुर, कुंवर बहादुर और श्री श्रीधर. श्रीधर इंटरनेशनल यूनियन ऑफ लॉयर्स (पेरिस-ब्रसेल्स) के ऑनररी प्रेसिडेंट रहे. इनकी शादी राजदुलारी से हुई.
जवाहर लाल नेहरू के चाचा: नंदलाल नेहरू :-
ये इलाहाबाद हाईकोर्ट में वकील रहे। साथ ही, राजपूताना खेत्री स्टेट के दीवान भी रहे। इनके 5 बच्चे हुए- बिहारीलाल, मोहनलाल, श्यामलाल, बृजलाल और किशनलाल।
जहवाहर लाल नेहरू :-
जवाहर लाल नेहरू का जन्म 14 नवंबर 1889 को यूपी के इलाहाबाद में हुआ था. वह आजादी के बाद देश के फर्स्ट प्राइम मिनिस्टर बनें. उन्हें भारत रत्न से भी सम्मनित किया गया था. 1916 में उनकी शादी कमला नेहरू के साथ हुई थी. 27 मई 1964 को दिल्ली में उनकी मौत हो गई थी.
विडंबनात्मक बात यह है कि 1947 में हमारे हिंदुस्तान को निजी संपत्ति पर कब्जा करने के लिए तीन भागों में विभाजित किया गया था, इसलिए 15 अगस्त का दिन हम भारतीयों के लिए गर्व का दिन होते हुए कुछ छिपे रहस्य के तरफ इशारा करता है .
प्रश्न:- अनुच्छेद 370 क्यों बनाया गया था, भारत को कितने भागों में बाँटा गया था, आखिर क्यों?
उत्तर:-भारत को 3 भागों में बांटा गया था.
(1) भारत
(2) पाकिस्तान
(3) कश्मीर
अब प्रश्न है, भारत 70 वर्षों तक 3 भागों में विभाजित था, हम हिंदुस्तानियों को अलग-अलग तरीकों से टोपी क्यों पहनाई जाती रही, अथार्त् बेवकूफ क्यों बनाया जाता रहा.
आखिर, किस कारण?
क्या इसके लिए महात्मा गांधी, मोतीलाल नेहरू और ब्रिटिश हुकूमत जम्मेदार नही है?
बाद जवाहरलाल की बेटी इंदिरा ने फिरोज खान से शादी की उनके राजीव खान और संजय खान हुए संजय को एक मुस्लिम से उत्पन्न बेटा माना जाता है. महात्मा गांधी ने अपनी टाईटील तो दे दी पर धर्म और कर्म अहिंदू ही रहा।एक बार उन्हें हिंदू मंदिर में प्रवेश भी रोक दिया गया था.संजय गांधी की मृत्यु पर उसका कथित पिता फूट-फूटकर रोया भी था. राजीव खान ने क्रिस्चियन विदेशी इटली की महिला सोनिया माइनों से शादी की थी.
राजीव की बेटी प्रियंका ने ईसाई क्रिश्चियन राबर्ट बढेरा से शादी की पूरा परिवार ही बढ़ शंकर है फिर हिंदू कैसे हो सकते है? सब पूर्णरूपेण मुस्लिम है.और हम सबको भारतीयों को हिंदू पंडित कहकर बताया गया है जोकि पूर्णरूपेण असत्य है.
इसीलिए इन लोगों ने राम को काल्पनिक कहा और सुप्रीम कोर्ट में एफिडेविट भी दिया राम मंदिर का हमेशा विरोध किया वक्फ र्बोर्ड मुस्लिम पर्सनल लॉ आदि अनेकों मुस्लिम पक्ष के कार्य किए और हिंदू सनातन धर्म को दबाने की हमेशा इस कांग्रेसमें कोशिश की.
अब समय आ गया है सब सनातनी भाई बहनों हिंदुओं को सचेत हो जाना है और अपने अस्तित्व की लड़ाई सबको तन मन धन से लड़नी है जो लड़ रहा है उसको समर्थन करना है.
( यह संकलन सोसल मीडिया पर स्थित सामग्री के आधार पर तैयार किया गया है। लेखक इसकी सत्यता /असत्यता की कोई जिम्मेदारी नहीं ले सकता है.)
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