Saturday, April 9, 2022

श्री सनातन रामानंद सम्प्रदाय की कुल परम्परा। (1) डा. राधे श्याम द्विवेदी


     श्री सीता नाथ समारंभाम श्री रामानंदार्य मध्यमाम।
        अस्मदाचार्य पर्यन्ताम वन्दे श्री गुरु परम्पराम।।
                                ऊं ग्रूं गुरवे नमः
वैष्णव-सम्प्रदाय के उद्गम-स्थान हैं- भगवान् विष्णु। वैष्णव सम्प्रदाय के चार प्रसिद्ध उपसम्प्रदाय हैं- 1. श्री सम्प्रदाय, 2. ब्रह्म-सम्प्रदाय, 3. रुद्र,सम्प्रदाय और 4. सनक-सम्प्रदाय। इनमें श्री सम्प्रदाय के प्रवर्तक रामानुजाचार्य, ब्रह्मसम्प्रदाय के मध्याचार्य, रुद्र-सम्प्रदाय के विष्णु स्वामी तथा सनक-सम्प्रदाय के निम्बार्काचार्य माने गए हैं- 
रामानुजं श्रीः स्वीचक्रे मध्वाचार्य चतुर्मुखः। 
श्री विष्णुस्वामिनं रुद्रो निम्बादित्यं चतुस्सनः।
                        (पद्मपुराण)। 
बैरागियों के चार सम्प्रदायों में अत्यन्त प्राचीन रामानंदी सम्प्रदाय है। इस सम्प्रदाय को बैरागी सम्प्रदाय, रामावत सम्प्रदाय और श्री सम्प्रदाय भी कहते हैं। 'श्री' शब्द का अर्थ लक्ष्मी के स्थान पर 'सीता' किया जाता है। इस सम्प्रदाय का सिद्धान्त विशिष्टाद्वैत कहलाता है। इन सम्प्रदायों में श्री सम्प्रदाय' ही सबसे पुरातन है। इसके अनुयायी ‘श्री वैष्णव' कहलाते हैं। इन अनुयायियों की मान्यता है कि भगवान् नारायण ने अपनी शक्ति श्री (लक्ष्मी) को अध्यात्म ज्ञान प्रदान किया। अयोध्या के राम मंत्रार्थ मण्डपम में राम मंत्र के बारे में लिखा है। राम जी ने स्वम यह महामंत्र सीता जी को दिया, सीताजी ने हनुमान को, हनुमान नें ब्रह्मा जी को, ब्रह्मा नें वाशिष्ट, वाशिष्ट नें पराशर को, व्यास, शुकदेव से होती हुए यह परम्परा आगे इकतालीस आचार्यों की श्रृंखला बनाती है। इस सूची क्रम से इन गुरुओं ने इस परम्परा मिलती है।
इसी आचार्य-परम्परा से कालांतर में रामानुज ने वह अध्यात्म ज्ञान प्राप्त किया। इसके फलस्वरूप श्री रामानुज ने 'श्री वैष्णव' मत को प्रतिष्ठापित कर इसका प्रचार किया।रामानंद प्रारंभ से ही क्रांतिकारी थे इन्होंने रामानुजाचार्य की भक्ति परंपरा को उत्तर भारत में लोकप्रिय बनाया और रामावत संप्रदाय का गठन कर राम तंत्र का प्रचार किया संत रामानंद के गुरु का नाम राघवानंद था जिसका रामानुजाचार्य की भक्ति परंपरा में चौथा स्थान है। 
श्री राम बल्लभा कुंज अयोध्या से प्रकाशित हमारे आचार्य (2) में राम सीता हनुमान सहित एकतालिस आचार्य गुरुओं की सूची इस प्रकार दर्शायी गई है। साथ ही 38वें आचार्य श्री राम बल्लभा शरण दास जी के जीवन की अलौकिक झांकी प्रस्तुत की गई है।
श्री राम जी
श्री सीता जी
श्री हनुमान जी
श्री वशिष्ठ जी
श्री पराशर जी
श्री व्यास जी
श्री शुकदेव जी
श्री पुरुषोत्तमाचार्य जी
श्री गंगाधराचार्य जी
श्री सदाचार्य जी
श्री रामेश्वराचार्य जी 
श्री द्वारानंदाचार्य जी
श्री देवानंदाचार्य जी
श्री श्यामानंदाचार्य जी
श्री श्रुतानंदाचार्य जी
श्री चिदानंदाचार्य जी
श्री पूर्णानंदाचार्य जी
श्री श्रियानंदाचार्य जी
श्री हर्यानंदाचार्य जी
श्री राघवानंदाचार्य जी
श्री रामानंदाचार्य जी
श्री योगानंदाचार्य जी
श्री गयानंदाचार्य जी
श्री तुलसी दास जी। 
 श्री नाथू राम जी
श्री चोगानी जी
श्री ऊधौ मैदानी जी
श्री खेम दास जी
श्री राम दास जी
श्री लक्ष्मण दास जी
श्री देव दास जी
श्री भगवान दास जी
श्री बाल कृष्णा दास जी
श्री वेणी दास जी
श्री श्रवण दास जी
श्री राम बचन दास जी
श्री राम बल्लभा शरण दास जी
श्री राम पदारथ दास जी
श्री हरिनाम दास जी
श्री राम शंकर दास जी

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