Saturday, January 29, 2022

कृष्णद्वैपायन वेदव्यास और सत्यवती डा. राधे श्याम द्विवेदी। (भगवत प्रसंग 8)

   

प्राचीन काल में सुधन्वा नाम के एक राजा थे। वे एक दिन आखेट के लिये वन गये। उनके जाने के बाद ही उनकी पत्नी रजस्वला हो गई। उसने इस समाचार को अपनी शिकारी पक्षी के माध्यम से राजा के पास भिजवाया। वहां प्राकृतिक सुंदरता से आविर्भूत होकर तथा रानी का सन्देश पाकर  महाराज सुधन्वा ने एक दोने में अपना वीर्य निकाल कर पक्षी को दे दिया। पक्षी उस दोने को राजा की पत्नी के पास पहुँचाने आकाश में उड़ चला। मार्ग में उस शिकारी पक्षी को एक दूसरी शिकारी पक्षी मांस का टुकड़ा समझकर युद्ध होने लगा। युद्ध के दौरान वह दोना पक्षी के पंजे से छूट कर यमुना में जा गिरा। यमुना में ब्रह्मा के शाप से मछली बनी एक अप्सरा रहती थी। मछली रूपी अप्सरा दोने में बहते हुये वीर्य को निगल गई तथा उसके प्रभाव से वह गर्भवती हो गई।

        गर्भ पूर्ण होने पर एक निषाद ने उस मछली को अपने जाल में फँसा लिया। निषाद ने जब मछली को चीरा तो उसके पेट से एक बालक तथा एक बालिका निकली। निषाद उन शिशुओं को लेकर महाराज सुधन्वा के पास गया। महाराज सुधन्वा के पुत्र न होने के कारण उन्होंने बालक को अपने पास रख लिया जिसका नाम मत्स्यराज रखा और बाद में वह राजा विराट नाम से प्रसिद्ध हुआ। बालिका निषाद के पास ही रह गई और उसका नाम काली,मत्स्यगंधा रखा गया क्योंकि उसके अंगों से मछली की गंध निकलती थी। उस कन्या को सत्यवती के नाम से भी जाना जाता है।
           बड़ी होने पर सत्यवती नाव खेने का कार्य करने लगी एक बार पराशर मुनि को उसकी नाव पर बैठ कर यमुना पार करना पड़ा। पराशर मुनि सत्यवती रूप-सौन्दर्य पर आसक्त हो गये और बोले, "देवि! मैं तुम्हारे साथ सहवास करना चाहता हूँ।" सत्यवती ने कहा, "मुनिवर ! आप ब्रह्मज्ञानी हैं और मैं निषाद कन्या। हमारा सहवास सम्भव नहीं है।"
          काफी अनुनय विनय पर सत्यवती ने पराशर के प्रस्ताव को स्वीकार तो किया लेकिन तीन शर्तें रखीं, पहली शर्त की- दोनों को प्रेम संबंधों में लीन होते हुए कोई ना देखे तो पराशर ने अपनी दिव्य शक्ति से चारों ओर एक गहरा कोहरा उत्पन्न किया. दूसरी शर्त यह कि प्रसूति होने पर भी सत्यवती कुमारी ही रहे और तीसरी यह कि सत्यवती के शरीर से मछली की गंध हमेशा के लिए खत्म हो जाए. पराशर ने सभी शर्तों को स्वीकारा व मछली की गंध को सुगन्धित पुष्पों में बदल डाला।
             पराशर मुनि बोले, "बालिके! तुम चिन्ता मत करो। प्रसूति होने पर भी तुम कुमारी ही रहोगी।" इतना कह कर उन्होंने अपने योगबल से चारों ओर घने कुहरे का जाल रच दिया और सत्यवती के साथ भोग किया। तत्पश्चात् उसे आशीर्वाद देते हुये कहा, तुम्हारे शरीर से जो मछली की गंध निकलती है वह सुगन्ध में परिवर्तित हो जायेगी।" इस प्रकार धीवर कन्या मत्स्यगंधा से पराशर ऋषि का गंदर्भ विवाह हुआ था। समय आने पर एक द्वीप पर सत्यवती गर्भ से वेद वेदांगों में पारंगत वेदव्यास नामक पुत्र एक पुत्र हुआ। जन्म होते ही वह बालक बड़ा हो गया और अपनी माता से बोला, “माता! तू जब कभी भी विपत्ति में मुझे स्मरण करेगी, मैं उपस्थित हो जाऊंगा.” यह कहकर वह बालक तपस्या करने के लिए द्वैपायन द्वीप चला गया.
         तपस्या के दौरान द्वैपायन द्वीप में सत्यवती के पुत्र का रंग काला हो गया और इसीलिए उन्हें कृष्ण द्वैपायन भी कहा जाने लगा. इसी पुत्र ने आगे चलकर महान ग्रंथों व वेदों का वर्णन किया है। महर्षि कृष्णद्वैपायन वेदव्यास महाभारत ग्रंथ के रचयिता थे। उनके द्वारा रची गई श्रीमद्भागवत भी उनके महान ग्रंथ महाभारत का ही हिस्सा है. महाभारत ग्रंथ का लेखन भगवान् गणेश ने महर्षि वेदव्यास से सुन सुनकर किया था। वेदव्यास महाभारत के रचयिता ही नहीं, बल्कि उन घटनाओं के साक्षी भी रहे हैं, जो क्रमानुसार घटित हुई हैं।
         कालक्रम से इसी सत्‍यवति का असली विवाह चन्द्रवंशीय राजा शान्‍तनु से हुआ। जिस विवाह को देवव्रत भीष्‍म पितामह ने आजीवन ब्रह्मचर्य कीप्रतिज्ञा कर महान त्‍याग करके सम्‍पन्‍न करवाया था। जब शान्‍तनु पुत्र विचित्रवीर्य का देहांत हो गया और कोई राज्‍याधिकारी न रहा तब सत्‍यवति ने व्‍यास जी का स्‍मरण किया था। ब्यास जी के ही योगबल से धृतराष्‍ट्र, पांडु और विदुर का जन्‍म हुआ।
        अपने आश्रम से हस्तिनापुर की समस्त गतिविधियों की सूचना उन तक तो पहुंचती थी। वे उन घटनाओं पर अपना परामर्श भी देते थे। जब-जब अंतर्द्वंद्व और संकट की स्थिति आती थी, माता सत्यवती उनसे विचार-विमर्श के लिए कभी आश्रम पहुंचती, तो कभी हस्तिनापुर के राजभवन में आमंत्रित करती थी। ब्रह्म ऋषि व्‍यास जी परम ब्रह्म और अपर ब्रह्म के ज्ञाता कवि (त्रिकालदर्शी) सत्‍यव्रत परायण तथा परम पवित्र हैं। इनकी बनाई हुई महाभारत संहिता सब शास्‍त्रों के अनुकूल वेदार्थों से भूषित तथा चारों वेदों के भावों से संयुक्‍त है।













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