Saturday, November 20, 2021

स्वर्गीय साधू शरन दूबे की प्रथम पुण्य तिथि

 


      भारतीय जनता पार्टी के  राष्ट्रीय मंत्री और उत्तर प्रदेश के बस्ती से लोकसभा सांसद हरीश द्विवेदी के पिता स्वनाम धन्य स्वर्गीय श्री साधू शरन दूबे जी का जन्म 01.01.1943 को  नगर थाना क्षेत्र के ग्राम तेलियाजोत कटया बस्ती में हुआ था। श्री साधू शरन दूबे किसान इंटर कॉलेज मरहा कटया में अपनी सेवा पूरी करने के बाद घर पर रह कर समाज सेवा करते थे। उनकी पत्नी का नाम यशोदा देवी है। दूबे जी सेवा के दौरान हिंदी के शिक्षक थे।  वे 2003 में सेवा निवृत्त हुए थे। जीवन के अंतिम क्षणों में वह कई दिनो से बीमार थे। उन्हें इलाज के लिए लखनऊ के राममनोहर लोहिया मेडिकल कालेज में भर्ती कराया गया था। जहां दिनांक 12. 11.2020 को देर रात उनका निधन हो गया था। वह 77 साल के थे।
        उन्होंने अपने पीछे एक भरा पड़ा परिवार छोड़ रखा है। उनके के तीन पुत्रों में सबसे बडे़ सुभाष चंद्र द्विवेदी बस्ती में कोषागार में कायर्रत हैं। दूसरे नंबर के सांसद हरीश द्विवेदी है। छोटे बेटे बागीस घर पर ही रहकर कृषि का कार्य करते हैं। उनके निधन के बाद सांसद के आवास पर श्रद्धांजलि देने वालो का तांता लगा रहा। 13 नवंबर 2020को देर शाम 7.30 बजे  तेलिया जोत स्थित सांसद के घर प्रदेश के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य पहुंचे थे। उन्होंने स्व. साधु शरण दूबे के चित्र पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी थी और उनकी आत्मा के शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की थी।  महादेवा विधायक रवि सोनकर, कप्तानगंज विधायक चंद्र प्रकाश शुक्ल, सदर विधायक दयाराम चौधरी, रूधौली विधायक संजय प्रताप जायसवाल, बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रमापति राम त्रिपाठी, प्रदेश प्रवक्ता मनीष शुक्ला, प्रदेश भाजपा मंत्री संजय राय, पूर्व प्रदेश उपाध्यक्ष दया शंकर सिंह, विधायक सोनभद्र (रावर्डगंज)भूपेश चौबे, बस्ती के भाजपा जिलाध्यक्ष महेश शुक्ला भी गतात्मा को श्रद्धांजलि देने पहुंचे थे। विकास भवन बस्ती पर कर्मचारी संघ ने शोकसभा आयोजित कर साधु शरण को भावभीनी श्रद्धांजलि दी गई थी।
         सांसद हरीश द्विवेदी ने बताते हैं कि  पिता स्व. साधू शरण दूबे की शिक्षा की बदौलत उन्हें जनसेवा करने की प्रेरणा मिली है। उनके द्वारा दी गई शिक्षा से ही उन्हें बेहतर कार्य करने की ऊर्जा मिलती रही है। बेहद सरल और सहज स्वभाव के रहे पिता जी सेवानिवृत्त होने के बाद भी शिक्षण कार्य के प्रति उनका झुकाव बना रहा। उनके पढ़ाये हुए तमाम विद्यार्थी आज अच्छे पदों पर रह कर समाज में रचनात्मक कार्य कर रहे हैं। आज स्वर्गीय दूबे के प्रथम पुण्य तिथि पर बस्ती जनपद उत्तर प्रदेश और भारत राष्ट्र उन्हें सादर श्रद्धांजलि दे रहा है। हमें उनके दिखाए गए मार्ग का अनुसरण करने का प्रयास करना चाहिए।

   

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