लोकपर्व छठ के विभिन्न अवसरों पर जैसे प्रसाद बनाते समय, खरना के समय, अर्घ्य देने के लिए जाते हुए, अर्घ्य दान के समय और घाट से घर लौटते समय अनेकों सुमधुर और भक्ति भाव से पूर्ण लोकगीत गाए जाते हैं।
'केलवा जे फरेला घवद से, ओह पर सुगा मे़ड़राय।
काँच ही बाँस के बहंगिया, बहंगी लचकत जाए।
सेविले चरन तोहार हे छठी मइया। महिमा तोहर अपार।
उगु न सुरुज देव भइलो अरग के बेर।
निंदिया के मातल सुरुज अँखियो न खोले हे।
चार कोना के पोखरवा।
हम करेली छठ बरतिया से उनखे लागी।
इस गीत में एक ऐसे ही तोते का जिक्र है जो केले के ऐसे ही एक गुच्छे के पास मंडरा रहा है। तोते को डराया जाता है कि अगर तुम इस पर चोंच मारोगे तो तुम्हारी शिकायत भगवान सूर्य से कर दी जाएगी जो तुम्हें माफ नही करेंगे। पर फिर भी तोता केले को जूठा कर देता है और सूर्य के कोप का भागी बनता है। पर उसकी भार्या सुगनी अब क्या करे बेचारी? कैसे सहे इस वियोग को ? अब तो ना देव या सूर्य कोई उसकी सहायता नहीं कर सकते आखिर पूजा की पवित्रता जो नष्ट की है उसने।
केरवा जे फरेला घवद से ओह पर सुगा मेड़राय।
उ जे खबरी जनइबो अदिक (सूरज) से सुगा देले जुठियाए।
उ जे मरबो रे सुगवा धनुक से सुगा गिरे मुरझाय।
उ जे सुगनी जे रोए ले वियोग से आदित होइ ना सहाय ।
देव होइ ना सहाय।
काँच ही बाँस के बहँगिया, बहँगी लचकति जाय।
बहँगी लचकति जाय।
बात जे पुछेलें बटोहिया बहँगी केकरा के जाय ?
बहँगी केकरा के जाय ?
तू त आन्हर हउवे रे बटोहिया, बहँगी छठी माई के जाय।
बहँगी छठी माई के जाय।
काँच ही बाँस के बहँगिया, बहँगी लचकति जाय।
बहँगी लचकति जाय।
केरवा जे फरेला घवध से ओह पर सुगा मेंड़राय।
ओह पर सुगा मेंड़राय।
खबरि जनइबो अदित से सुगा देलें जूठियाय।
सुगा देलें जूठियाय।
ऊ जे मरबो रे सुगवा धनुष से सुगा गिरे मुरझाय।
सुगा गिरे मुरझाय।
केरवा जे फरेला घवध से ओह पर सुगा मेंड़राय।
ओह पर सुगा मेंड़राय।
पटना के घाट पर नरियर नरियर किनबे जरूर।
नरियर किनबो जरूर।
हाजीपुर से केरवा मँगाई के अरघ देबे जरूर।
अरघ देबे जरुर।
आदित मनायेब छठ परबिया बर मँगबे जरूर।
बर मँगबे जरूर।
पटना के घाट पर नरियर नरियर किनबे जरूर।
नरियर किनबो जरूर।
पाँच पुतर अन धन लछमी, लछमी मँगबे जरूर।
लछमी मँगबे जरूर।
पान सुपारी कचवनिया छठ पूजबे जरूर।
छठ पूजबे जरूर।
हियरा के करबो रे कंचन वर मँगबे जरूर।
वर मँगबे जरूर।
पाँच पुतर अन धन लछमी, लछमी मँगबे जरूर।
लछमी मँगबे जरूर।
पुआ पकवान कचवनिया सूपवा भरबे जरूर।
सूपवा भरबे जरूर।
फर फूल भरबे दउरिया सेनूरा टिकबे जरूर।
सेनूरा टिकबे जरुर।
उहवें जे बाड़ी छठि मईया आदित रिझबे जरूर।
आदित रिझबे जरूर।
काँच ही बाँस के बहँगिया, बहँगी लचकति जाय।
बहँगी लचकति जाय।
बात जे पुछेलें बटोहिया बहँगी केकरा के जाय ?
बहँगी केकरा के जाय ?
तू त आन्हर हउवे रे बटोहिया, बहँगी छठी माई के जाय।
बहँगी छठी माई के जाय।
छठ पूजा अर्घ्य मन्त्र के समय
ॐ सूर्य देवं नमस्ते स्तु गृहाणं करूणा करं।
अर्घ्यं च फ़लं संयुक्त गन्ध माल्याक्षतै युतम् ।।
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