स्मृति शेष बाल सोम जी का परिचय:-
नाम-श्री झूरी सिंह उर्फ बालसोम गौतम
जन्म स्थान ग्राम-खुटहना, तहसील-सदर, जनपद-बस्ती(उप्र)
बालसोम गौतम का जन्म 18 जुलाई1928 कप्तानगंज थाना क्षेत्र के खुटहना गांव में एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था। वह मथुरा सिंह के इकलौते पुत्र थे। इंटर तक की पढ़ाई किए गौतम ने गोंडा जनपद के विशेषरगंज गन्ना पर्यवेक्षक की नौकरी के साथ साहित्य सृजन का कार्य शुरू किया। बाल सोम गौतम ने मौलिक, श्रीकबीर, पत्रिका सम्पादन, सौगात, तरूमलकाव्य. साहित्य का लेखन किया। जिसके लिए 1998 में तत्कालीन मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने सम्मानित किया था। वर्ष 2000 में उत्तर प्रदेश सरकार के सिचाई मंत्री धनराज यादव, 2004 में साहित्य एकादमी, 2006 कादम्बरी कल्प द्वारा, 2010 में राज्यपाल द्वारा, 2014 में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव व 2015 में पुन;साहित्य एकादमी द्वारा सम्मानित किया गया। बालसोम जी की मृत्यु दिनाँक-२०-११-२०१६ को सदर अस्पताल, जनपद-बस्ती(उप्र) में हुई थी।
अन्तिम निवास स्थान-सरस्वती सदन, टिनिच कस्बा, जनपद-बस्ती(उप्र) अंतिम सांस गौर क्षेत्र के साड़ी कल्प गांव में ली। वह 88 वर्ष के थे। उन्होनें अपने पीछे भरा पूरा परिवार छोड़ गए हैं। उनका अंतिम संस्कार कुआनो नदी के वाराह क्षेत्र घाट पर हुआ। मुखाग्नि बडे बेटे सिद्धार्थ ने दी थी।
स्वकथन :-
बालसोम जी ने अपने विषय में लिखा था *ज्ञान के विज्ञान के अथवा कला के क्षेत्र में, हूँ नही कुछ खास अपने विषय में क्या कहूं । हूँ नही लिक्खाड़ कोई या पढ़ाकू बीर ही, स्वल्प शिक्षा प्राप्त लघुमति व्यक्ति अति सामान्य हूँ ।*
बालसोम जी की वर्ष१९७३ में प्रकाशित काव्य संकलन *स्वगत*में श्री हरिशंकर मिश्र, प्रवक्ता-खैर इंटर कालेज, बस्ती ने *बालसोम कौन?* शीर्षक से लिखा-उनिद्र मस्तिक का जागृति बोध छिपाये, मन की तलहटी में निरन्तर गुनगुनाता, भीड़ में घुस कर भी अकेला आत्मलीन; जरा -सा छेड़ने पर निहायत ही वाचाल, अद्यतन कबीर का नन्हा-सा आपरिचित बेलाग संस्करण; ऊपर से शालीनता की सीमा तक दब्बू दिखाई देने वाला, निर्भीकता के बिंदु तक दबंग; कभी छुई-मुई-सा-संवेदनशील, कभी चट्टान -सा निर्मम ।
प्रचीन कालदण्ड पर नवीन के तार बाँधकर जो *स्वगत*बोल रहा है--वह है कवि बालसोम । जो शास्त्र थहाने वाला पंडित नहीं, पंडितो द्वारा चर्चित कवि पुंगव नही, एक़ साधारण-सा असाधारण व्यक्ति है; जिसका पानी भवानी का वरदान है। जिसका काम है शब्दों की जिह्वा पर नये अर्थ धरना, पुरानी दिप-शिखा को नये आलोक से मंडित करना ।
दूर अनाकांक्षी होते हुए कवि कीर्ति का अधिकारी, अपनी परायी सबकी पीड़ा का गायक पपीहा-सा यह व्यक्ति बस्ती के जीवन-वन में पिछले बीस वर्षों से देखा सुना जा रहा है ।युवा कवियों को सुझाव देत हुये सोम जी ने निम्न*गजल*की रचना की थी
सीधा सदा सच्चा लिख ।थोडा लिख पर अच्छा लिख ।। जो भी कुछ लिख पक्का लिख ।चिठ्ठा एक न कच्चा लिख ।।लिख जो भए जन जन को । गाये बच्चा-बच्चा लिख ।। नाव डूबने वाली है ।करें राम ही रक्षा लिख।। बात न माने शायर की । क्यों न खाए गच्चा लिख ।।मत लिख इसके उसके जैसा ।केवल अपने जैसा लिख ।
पांचवी पुण्य तिथि पर श्रद्धांजलि:-
बस्ती । 20 नंबर 2021। 'ये शाम और ये फूलों का मुरझाना देख उदासी क्यों, जब तय है होगी सुबह, खिलेंगे फूल हजारों नये-नये’ जैसी रचनाओं से समाज को संदेश देने वाले जन कवि बाल सोम गौतम को उनकी पांचवी पुण्य तिथि पर याद किया गया। बालसोम गौतम स्मृति संस्थान की ओर से शनिवार को प्रेस क्लब के सभागार में आयोजित कवि सम्मेलन एवं मुशायरे में कवि, शायरों ने बालसोम गौतम के साहित्यिक योगदान पर विमर्श किया।
मुख्य अतिथि आयुष चिकित्साधिकारी एवं साहित्यकार डा. वी.के. वर्मा ने कहा कि बालसोम गौतम का रचना संसार विविधता लिये हुये हैं। वे अपने समय के सशक्त हस्ताक्षर थे, उनकी कवितायेें हमें संकट में साहस देती है। अध्यक्षता करते हुये कमलापति पाण्डेय ने कहा कि बाल सोम गौतम को याद करना इतिहास के कई बिन्दुओं को खंगालने जैसा है। वे स्वयं में अप्रतिम कवि थे। संचालन करते हुये वरिष्ठ कवि डा. रामकृष्ण लाल जगमग ने बालसोम गौतम से जुड़े अनेक प्रसंगोें, अनुभवों को साझा किया। उनकी कविता ‘ जो भी हो पर सत्य कहूंगा, झरना जैसा सदा बहूंगा, इन्ही किताबों के बल पर मैं, मरने पर भी अमर रहूंगा’ को श्रोताओं ने सराहा।
कविसम्मेलन, मुशायरे में पं. चन्द्रबली मिश्र, विनोद उपाध्याय, सत्येन्द्रनाथ मतवाला, राममणि शुक्ल, सागर गोरखपुरी, रहमान अली रहमान, अफजल हुसेन अफजल आदि की रचनायें सराही गई। बाल सोम गौतम के अधिवक्ता पुत्र सिद्धार्थ गौतम ने अपने पिता की रचनाओं को सुनाकर मंत्रमुग्ध कर दिया। कार्यक्रम में शान्तनु सिंह, विभोर मिश्र, चन्द्र प्रकाश शर्मा, हनुमत प्रसाद शुक्ल, महेन्द्र उपाध्याय आदि शामिल रहे।
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