Wednesday, October 27, 2021

अवतरण और जन्म एक नही , अलग अलग संज्ञा डा. राधे श्याम द्विवेदी


सोसल मीडिया फेसबुक ट्वीट और वर्डसैप पर जन्म दिवस को लोग अवतरण दिवस के रुप में दर्शा कर विद्वता का बोध कराने का प्रयास करते हैं जो किंचित सत्य नहीं अपितु भ्रामक है। आज मैं इस सूक्ष्म भ्रम के आवरण को हटाने का इक छोटा प्रयास या संकेत दे रहा हूं। आशा है कि विद्वत जन इससे अनुप्राणित होकर सुधार।का प्रयास करेंगे।
अवतार का अर्थ अवतरित होना या उतरना है, हिन्दू मान्यता के अनुसार जब-जब दुष्टों का भार पृथ्वी पर बढ़ता है और धर्म की हानि होती है तब-तब पापियों का संहार करने तथा भक्तों की रक्षा करने के लिये भगवान अपने अंश अथवा पूर्णांश से पृथ्वी पर शरीर धारण करते हैं। हम कह सकते हैं कि ईश्वर का अपनी कलाओं के साथ (पूर्णत: या अँशत:) धरती पर मानव रूप में आता है तो अवतार कहा जाता है।अवतार का अर्थ होता है उतरना अवतरित होना ,आना अर्थात जो पहले से ना हो वह आए। भगवान अर्थात वह सर्वोच्च सत्ता शक्ति किसी शरीर विशेष पर अवतरित हो उसे अवतार कहते हैं l भगवान दो रूपों में होता है साकार और निराकार l साकार शरीर का जन्म होता है और वह निराकार सर्वोच्च सत्ता शक्ति उस शरीर पर अवतरित होती है , उसके माध्यम से कार्य करती है l 
इन सबसे भिन्न जन्म की अवधारणा है। ईश्वर का तत्व (आत्मा) पंचभौतिक रूप मे जैविक शरीर ग्रहण करना जन्म लेना कहा जाता है। जन्म शरीर का होता है दुनिया में जो भी आता है वह जन्म लेकर आता है l 


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