शक्ति आसुरी एक हो गयी
सत्य की ज्योति बुझाने
में।
भारत में सब मिलकर के
जुटे हैं पूरा सत्य मिटाने में।।1।।
ममता माया नाम है अच्छा काम
मनमानी करती है।
दलितों का हिस्सा लेलेकर
अपनी झोली में भरती है।।2।।
जिनका मन ना मिल
पाये वे एक नाव
के पथिक हुए।
सत्य की ज्योति बुझाने
में वे पूरी ताकत
झोक दिये।।3।।
बार बार असत्य बोलकर सत्य का वे आभास
दिये।
गन्दी गन्दी गाली देकर जनमन को विद्रूप किये।।4।।
परिवार कुटुम्ब तक सीमित आगे
इससे ना बढ़ पाये।
जो जनजन का
काम करे उसको तगड़ी टांग अड़ाये।।5।।
अपने अपने को लुटवाये सम्पत्ति
सकल बनाइ लिये।
वोटबैंक की नीति बना
तरह तरह पक्षपात किये।।6।।
जनजन का दुख दर्द
ना समझे अलीशान वे रहते हैं।
जनता का सेवक कहलाकर
जनता को भरमाते हैं।।7।।
सत्यमेव जयते ही रहा सब असत्य समाप्त हुए।
झूठे छल प्रपंच सभी इस जग में नेस्नाबूत हुए।।8।।
सत्य पथिक भटक भटक कर मंजिल अपना पाता है।
असत्य की बोली ऊंची होकर अन्त में मिट जाता है।।9।।
भारत मां का तपसी बालक आज विश्व में छाइ गया।
तरह तरह के शुभ संदेशों से भारत मालामाल हुआ।।10।।
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