Wednesday, April 24, 2019

बस्ती : श्री हरीश द्विवेदी , परिचय एवं उपलब्धियां डा. राधेश्याम द्विवेदी


(कल के अपने ब्लाक में हमने बस्ती : भाजपा बसपा एवं कांग्रेस में त्रिकोणात्मक संघर्ष की एक परिचयात्मक भूमिका दिखाई थी। आज इस संघर्श के प्रमुख स्तम्भ के बारे में कुछ बातें बतलाने का प्रयास करुंगा। )
उत्तर प्रदेश के बस्ती जिला के तेलियाजोत (कटया) निवासी श्री हरीश द्विवेदी का जन्म 22 अक्टूबर 1973 को एक मध्यम वर्गीय ब्राह्मण परिवार में हुआ है। उनके पिता श्री साधुशरण दुबे जनता इंटर कालेज में शिक्षक रहे है। 1991 से 1994 तक वह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के जिला प्रमुख रहे है। वह 1996 तक प्रदेश सहमंत्री रहे है। बाद में वह अभाविप के विभाग संगठन मंत्री बने।1999 से 2003 तक प्रयाग में संभाग संगठन मंत्री रहे है । 2004 से 2007 तक भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष केशरीनाथ त्रिपाठी के राजनीतिक सलाहकार रहे है। इस दौरान वह 2005 से 2007 तक भाजयुमो के प्रदेश महामंत्री भी रहे। 2007 से 2010 तक भाजयुमो के प्रदेश उपाध्यक्ष रहे। वह 2010 से 2013 तक  भारतीय जनता युवा मोर्चा उत्तर प्रदेश इकाई के भाजयुमो के प्रदेश अध्यक्ष का दायित्व संभाला। उन्होंने भाजयुमो द्वारा सक्रिय रूप से तिरंगे यात्रा में भाग लिया था अनुराग ठाकुर और उन्हें अन्य वरिष्ठ भाजपा नेताओं के साथ पठानकोट में हिरासत में लिया गया था । 2012 के विधानसभा चुनाव में उन्हें बस्ती सदर विधान सभा क्षेत्र से टिकट मिला। 2013 से अब तक वह भाजपा प्रदेश कार्यसमिति सदस्य के रूप में काम कर रहे हैं। श्री हरीश द्विवेदी 43 वर्ष में सांसद का चुनाव लड़ा था।  उत्तर प्रदेश भारतीय जनता पार्टी के एक सदस्य के रूप में 2014 के चुनावों में वे उत्तर प्रदेश की बस्ती सीट से भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़कर निर्वाचित हुए। हरीश द्विवेदी के जुझारू तेवर ही उनको हर किसी से अलग करते हैं। आरएसएस की शाखा में 1990-91 में मुख्य शिक्षक के रूप में अपने दायित्वों का निर्वहन करने वाले हरीश ने उसके बाद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। उन्होंने पोस्ट ग्रेजुएट शिक्षा दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय से की है।  मौजूदा भाजपा भी पॉच बार अपना परचम लहराया। और एक बार पुनः परचम लहराने के लिए कमर कस लिया है।
1991 के चुनाव में पहली बार भाजपा ने यहां से जीत दर्ज की और उसके बाद 1996, 1998 और 1999 में यहां भाजपा का ही वर्चस्व रहा। 2014 में फिर से भाजपा के खाते में आ गई और हरीश द्विवेदी यहां से सांसद चुने गए। 2019 में बीजेपी एक बार पुनः मौजूदा सांसद पर अपना विश्वास जताते हुये हरीश द्विवेदी पर भरोसा जताया तो काग्रेस पार्टी जो जिले में अपने अस्तित्व को बचाये रखने के लिए यह सीट समझोते में जनाधिकार पार्टी को सौप कर अपनी इज्जत बचाई जबकि बसपा ने अभी तक अपना पत्ता नही खोला है हालकि चैधरियो के छत्रप बसपा के कददावर नेता रामप्रसाद चैधरी को नेता मान कर चुनाव मैदान डटे हुये है देखना यह है कि राम प्रसाद चैधरी पर बसपा भरोसा करती या फिर किसी और को टिकट देकर अपना दावा पुनः पाना चाहती है। जबकि भाजपा अपनी डबल हैट्रिक लगाने के लिए कमर कसकर मैदान में आ चुकी है। भाजपा से मुहकि खाने वाली बसपा में अभी तक असंमजश की स्थिति बनी हुयी है कि और उसके कार्यकर्ता अपनी जीत सुनिश्चित कराने के लिए अपनी कमर कसकर मैदान में उतर चुके है। जबकि बहुजन समाजवादी पार्टी ने एक दशक कायम रही। और आज अपने अस्त्तिव की लडाई लडने के लिए समाजवादी पार्टी से गठबन्धन कर है।
भाजपा ने बस्ती सदर सीट से एक बार फिर सांसद हरीश द्विवेदी पर दांव लगाया है। केंद्रीय चुनाव संचालन समिति के जेपी नड्डा के टिकट की घोषणा के बाद सांसद व उनके समर्थकों में खुशी की लहर दौड़ गई है। कार्यकर्ताओं ने शहर व देहात में जुलूस निकाल कर पटाखे फोड़े। टिकट मिलने पर सांसद हरीश द्विवेदी ने कहा कि वह विकास के मुद्दे पर चुनाव मैदान में है। अपने काम व विकास को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में फिर से सरकार बनेगी। यह टिकट मुझे नहीं पार्टी के कार्यकर्ताओं को मिला है। हरीश द्विवेदी ने 2012 में भाजपा से टिकट लेकर बस्ती सदर विधानसभा सीट से चुनाव लड़े। लगभग 34 हजार वोट पाते हुए तीसरे स्थान पर रहे। लगातार फील्ड में जमे हरीश द्विवेदी पर 2014 में भाजपा ने दांव लगाया और बस्ती लोकसभा सीट से टिकट दे दिया। 3.58 लाख वोट हासिल करते हुए चुनाव जीत गए। सपा उम्मीदवार राजकिशोर सिंह दूसरे व बसपा उम्मीदवार राम प्रसाद चौधरी तीसरे स्थान पर रहे। चुनावी दौर में पिछले दिनों उनके टिकट कटने को लेकर तमाम चर्चाएं चल रही थी, जिस पर विराम लग गया है। भाजपा ने बस्ती लोकसभा सीट से हरीश द्विवेदी को फिर से टिकट दे दिया है।
45 वर्षीय हरीश द्विवेदी संसद में वित्त एवं ऊर्जा विभाग के स्टैडिंग कमेटी के सदस्य हैं। संसद में उनका कामकाज औसत रहा है। पिछले 5 सालों के दौरान हरीश द्विवेदी का संसद में उस्थिति 86 फीसदी रहा है, जबकि राष्ट्रीय औसत 80 फीसदी का है, जबकि राज्य औसत 86 फीसदी का है। वहीं उन्होंने महज 34 बहसों में हिस्सा लिया। जबकि राष्ट्रीय औसत 67.1 फीसदी है, जबकि राज्य औसत 109 का है। अपने कार्यकाल के दौरान सांसद हरीश द्विवेदी ने सदन में 328 सवाल पूछे। जोकि राष्ट्रीय औसत 293 और राज्य औसत 198 से कहीं अधिक है। हालांकि, पूरे कार्यकाल के दौरान कोई भी प्राइवेट बिल सदन में पेश नहीं किया, जिसका राष्ट्रीय औसत 2.3 और राज्य औसत 1.8 है। 
मिलीजुली प्रतिक्रिया
बस्ती लोकसभा क्षेत्र का भ्रमण किया तो इस दौरान लोगों ने सांसद हरीश द्विवेदी के बारे में मिली जुली प्रतिक्रिया दी। किसी ने उनके कामकाज की प्रशंसा की तो कोई नाराज भी नजर आया, इसके अलावा कुछ आशावादी लोगों ने कहा कि और कामकाज की गुंजाइश थी अगर सांसद महोदय ने ध्यान दिया होता। पहले के मुकाबले यहां का रेलवे स्टेशन बहुत बेहतर हो गया है, सड़के अच्छी हो गई हैं, लेकिन शहर गंदगी की मार झेल रही है। वैसे तो देश में स्वच्छ भारत अभियान जोरों से चलाया गया, लेकिन बस्ती में उनका कोई प्रभाव देखने को नहीं  मिला। मुंडेरवा में काम तो हुआ है लेकिन रोजगार के कुछ हुआ है, मुंडेरवा चीनी मिल शुरु है, लेकिन स्थानीय लोगों को रोजगार कम मिला है। सांसद का कामकाज अच्छा है, लेकिन उन्हें और सुधार करने की जरुरत है। वो आम जनों से आसानी से नहीं मिलते हैं, ऐसे में उन्हें इसमें सुधार करने की जरुरत है। वर्ष 2014 में मोदी लहर के कारण हरीश द्विवेदी पहली बार लोकसभा का चुनाव जीते थे। । पिछले पांच साल में जिले में मेडिकल कॉलेज का निर्माण और बंद पड़ी मुंडेरवा चीनी मिल को चलाने बड़ा प्रॉजेक्ट आ चुकी है ।

(अन्य प्रतिद्वन्द्वियों के परिचय के साथ क्रमशः---)




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