आज
की युवा पीढ़ी ना जाने कहाँ जा रही है ? लोग खुद मे इतने व्यस्त है कि उन्हे अपने जन्म
दात्री माता पिता की देखरेख से सम्बन्धित कर्तव्य का जरा सा भी ध्यान नहीं है । हर
व्यक्ति का सबसे बड़ा धर्म है कि वह अपने मता-पिता तथा अपने बुजुर्गो की सेवा करना।
कुछ लोग हर समय अपने बुजुर्ग माता-पिता के साथ गलत व्यवहार करते है। वे जिस माता पिता
के प्रयास से आराम की जिन्दगी जीते हैं वे उनके किसे काम को नजरन्दाजकर अपने निहित
स्वार्थ में सब भूल जाते हैं। वे यह भी नहीं जानते की उन्हे भी इस उम्र का सामना करना
पड़ेगा।
अपने
बच्चों की वजह से कुछ लोग वृद्धाश्राम का सहारा लेते है। यह हमारे लिए बड़े ही दुख की
बात है। जिस माँ बाप ने हमे जन्म दिया हमारे लिए जाने कितना कुछ किया खुद भूखे रह कर
हमे खिलाया हमारी रक्षा के लिए जाने कितने जप तप किये। आज के इस भौतिकवादी युग में वही माँ बाप हमसे दुखी है। यह बहुत गलत है सबसे
बड़ा अधर्म है ।
यदि
ये हमसे दुखी है तो हमें इन्हे खुश रखना चाहिये। रोटी के मोहताज उन मां-बापों को दर
दर क्यों भटकना पड़े? जिस मां-बाप ने पढ़ाया-लिखाया हमारी हर एक जरूरत को पूरा किया।
हमने जो चाहा जो मागा हमें दिया, पर आज हम उन्ही माता पिता के साथ गलत करते है, उनकी
सेवा से कतराते है, यह एक बहुत बड़ा पाप है ।
हम
अपने जीवन मे कितने भी धर्म कर्म करें पर यदि अपने माता पिता का तिरिस्कार कर रहे है
तो हमारे सारे धर्म कर्म व्यर्थ है। जीवन भर जप तप किया, बहुत पूजा पाठ की लेकिन माँ
बाप को सुख नहीं दिया। यदि वे दुखी है, उनकी सेवा न की, उनका हमेशा अपमान किया तो हमारे
इस सब पूजा पाठ का कोई अस्तित्व नहीं ।
हमें
अपने माँ बाप को हमेशा खुश रखना चाहिये। हर किसी के माँ बाप अपने बच्चों के प्रति प्रेम
व निष्ठा रखते है। वे हमेशा भगवान से उनके उज्वल भविष्य की कामना करते है। हमें भी
अपने माँ बाप एवं ब्रद्धों की सेवा करनी चाहिये। यह हमारा सबसे बड़ा कर्तव्य होता है
। हमें भी इस समय से गुजरना पड़ेगा तथा हम जैसा करेगें वैसा फल पायेगें। हम इन ब्रद्धजनों
की सेवा करके अपने जीवन को महान व जीवन भर सुख समृद्धि प्राप्त कर सकते है।