उत्तर प्रदेश के
पूर्वांचल में स्थित बस्ती मण्डल का यह क्षेत्र छठी शताब्दी ईस्वी में उजड़ने लगा
था। यह क्षेत्र सदियों से जंगल हुआ करता था इसका अधिक से अधिक भाग अवध के कब्जे
में था। इसके प्रारंभिक इतिहास के बारे में विश्वस्त प्रमाण उपलब्ध नहीं है। जुलाई
1997 में बस्ती जो जिला था, मंडल मुख्यालय बनाया गया। इसमें तीन जिले बस्ती,
सिद्धार्थनगर तथा संतकबीरनगर तथा तीन संसदीय क्षेत्र बस्ती डुमरियागंज तथा
खलीलीबाद बने। यहां की मिट्टी हिंदी भाषा
के महान आचार्य रामचंद्र शुक्ल, सर्वेश्वर दयाल सक्सेना तथा महान शिक्षक डा. सरस
की जन्मदात्री रही है। अभी भी बस्ती की बहुत ही बदहाल स्थिति है।
लोकमणिलाल अवॉर्ड से सम्मानित :- बस्ती शहर से सटे
आदर्श प्राथमिक विद्यालय मूड़घाट के प्रधानाचार्य डॉ. सर्वेष्ट मिश्र को उनके स्तर
से परिषदीय स्कूलों में शैक्षिक गुणवत्ता बढ़ाने के लिए किए जा रहे नए नित प्रयोगों
के लिए विभिन्न पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है। इससे पहले डॉ. सर्वेष्ट मिश्र को
प्रतिष्ठित लोकमणिलाल अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था। इलाहाबाद में आयोजित समारोह
में प्रदेश सरकार की कैबिनेट मंत्री प्रो. रीता बहुगुणा जोशी, इलाहाबाद विश्वविद्यालय
के कुलपति प्रो. राजेन्द्र सिंह, इलाहाबाद उच्च न्यायालय के जस्टिस गिरधर मालवीय
और सीबीएसई दिल्ली के संयुक्त निदेशक डॉ. राम शंकर ने उन्हें सम्मान प्रदान किया
था। कार्यक्रम में देश भर से जिन चार अन्य शिक्षकों को यह सम्मान दिया गया उसमें
मेघालय, असम, दिल्ली और मुजफ्फरनगर से एक-एक शिक्षक शामिल हैं। लोकमणिलाल अवॉर्ड
इलाहाबाद के पतंजलि विद्यापीठ द्वारा स्थापित एक एक्सीलेंस अवार्ड है जो देश भर
में शिक्षा के क्षेत्र में कार्य करने वाले पांच चुनिंदा शिक्षकों को प्रतिवर्ष
दिया जाता है। कार्यक्रम के दौरान डॉ. सर्वेष्ट ने प्रदेश की कैबिनेट मंत्री प्रो.
रीता जोशी को अपने स्कूल की गतिविधियों से अवगत कराया था। उन्हें अपनी एक पुस्तक
भी भेंट की थी। कैबिनेट मंत्री ने खुद मूड़घाट स्कूल भ्रमण करने का आश्वासन भी दिया
था।
राष्ट्रपति
पुरस्कार 2017 हेतु चयनित :- इस बार नेशनल अवॉर्ड टू टीचर 2017 के लिए यूपी के सभी जिलों से तीन-तीन
शिक्षकों की सूची मांगी गई थी। प्रदेश स्तर पर कुल 225 शिक्षकों में से छह का चयन
हुआ। चयनित शिक्षकों में डॉ. सर्वेष्ट मिश्र शामिल रहे। इसके बाद दिल्ली में
शिक्षकों ने अपना प्रोजेक्ट प्रस्तुत किया। इनमें अव्वल रहते हुए बस्ती के डॉ.
सर्वेष्ट मिश्र का चयन पुरस्कार के लिए किया गया। उन्हें पांच सितम्बर को शिक्षक
दिवस पर विज्ञान भवन नई दिल्ली में उपराष्ट्रपति वैंकया नायडू पुरस्कार प्रदान
करेंगे। उन्हें मात्र 39 वर्ष की उम्र में यह सम्मान मिल रहा है। डा. सर्वेष्ट ने
यह उपलब्धि काफी कठिन परिश्रम से प्राप्त की है। विद्यालय को स्मार्ट बनाने के लिए
उन्होंने काफी प्रयास किया। डा. सर्वेष्ट कहते हैं कि जुलाई 2016 में जब वह इस
विद्यालय में बतौर प्रधानाध्यापक नियुक्त हुए तो विद्यालय में मात्र 19 छात्र थे। विद्यालय
में न पर्याप्त शिक्षक संख्या थी और न ही संसाधन। भवन की भी हालत काफी खराब थी।
संसाधन विहीन विद्यालय में बच्चों की संख्या बढ़ाना और व्यवस्था में सुधार सबसे बड़ी
चुनौती थी। इस चुनौती को उन्होंने स्वीकार किया और बच्चों की संख्या बढ़ाने के लिए
घर-घर संपर्क शुरू किया। अभिभावकों को भरोसा दिलाया कि वह अपने बच्चों को हमारे
विद्यालय में पढ़ाएं, यदि कान्वेंट से कम शिक्षा स्तर हो तो कभी भी अपने बच्चे को
ले जा सकते हैं। अभिभावकों ने भरोसा किया तथा 19 बच्चों वाले विद्यालय में छात्र
संख्या माह भीतर 155 हो गई। वर्ष 2017 में छात्र संख्या 211 हुई। 2018 में छात्र
संख्या 235 है। बच्चों को सरकार से अनुमन्य पुस्तकें, ड्रेस, बैग, जूता-मोजा,
स्वेटर आदि की व्यवस्था समय से की गई। इसके अलावा बच्चों को जनसहयोग से हाउस वार
ड्रेस, टाई, बेल्ट, आइडीकार्ड, स्टेशनरी की व्यवस्था की गई। बच्चों के साथ जब
मेहनत हुई तो उनकी प्रतिभा भी निखर का सामने आने लगी। वर्ष 2016 में कंप्यूटर,
प्रोजेक्टर, साउंड सिस्टम, सोलर सिस्टम आदि के सहारे जिले का पहला स्मार्ट क्लास
सुविधा युक्त विद्यालय का निर्माण किया गया। बच्चे अब प्रोजेक्टर के जरिए पढ़ाई कर
रहे हैं। बच्चों की प्रतिदिन की एक घंटे की असेंबली होती है। जिसमें बच्चों के
संपूर्ण व्यक्तित्व विकास को महत्व दिया जाता है। छात्रों को चार हाउसों में बांट
कर आंतरिक प्रतियोगिताएं कराई जाती हैं। प्रत्येक दिन के लिए समय-सारिणी निर्धारित
है। कक्षा आधारित कौशल विकास के भी कार्य कराए जाते हैं। सफाई, बागवानी सहित अन्य
कार्यों पर ध्यान दिया जाता है।
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