झूठी शान दिखावा आदि का अब नहीं कोई सारोकार है।
जिस सिस्टम में इज्जत ना गण की वह गणतंत्र बेकार है।।
आजादी जो मिली वह केवल संभ्रान्त जनों की देन नहीं।
कितने अनाम दिवाने देश के आहुति देकर फिरे नहीं।।
देश की सेवा करके वे उसका ना कोई मोल लिये।
उनके कुल व खानदान ने देश को दिया इनाम है।।
राजनीति के पद पर बैठे उस सबको अब भूल गये।
अपने छद्म सम्बंधों को दिखला के पद पर आ दमके।।
हमें उन अनाम शहीदों की कुरबानी में गुण शान है।
गणतंत्र दिवस पर उन सबको श्रद्धा देकर नतवान हैं।।
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