मौसमी बरसात में मेढ़क मदारी बन गये।
भेड़िये थे रातभर प्रातः
पुजारी बन गये।
इन दिनों दिखला
दिया हिन्दू ने क्या एकता।
ग्यासुद्दीन गाजी के वंशज जनेऊधारी
बन गये।।
गुजरात में दम लगा कुछ भी हासिल ना
हुआ।
प्रश्नों की बौछार करके खुद उसी में
फंस गया।
कान्वेट में गुरुजी से नहीं सीखा कोई
सउर।
चुटकुले गढ़ नये उपहास खुद का ही किया।।
उम्र बढ़ता ही गया चिन्तन विदेशों में
किया।
आलू से सोना निकाला आश्चर्य इसमें ना
किया।
एक दो ही नहीं अनेक उदाहरण तेरे हैं
भरे।
पार्टी अध्यक्ष बनकर ज्ञान की सरिता
बहा।।
No comments:
Post a Comment