दोहा
गणपत
गौरि मनाइके और गुरु को आज ।
पितर
देव रक्षा करो पूर्ण करो सब काज।।
हे
पितरदेव हे देवपितर दे दो शुभाशीर्वाद।
चरणन
शीश नवा रहा रखदो सिर पर हाथ।।
चौपाई
पितर
देव करो मार्ग उजागर, चरणन रज दें मुक्ति सागर।
परमोपकार पितरदेव कीन्हा, मानव योनि जन्म जो दीन्हा।
मातृ-पितृ
देव मन जो भावे, सोई अमित जीवन फल पावे।
जै-जै-जै
पित्तरदेव गोसाईं, पितृ ऋण बिन मुक्ति नाहिं।
चारों
ओर प्रताप तुम्हारा, संकट में तेरा ही सहारा।
नारायण
आधार सृष्टि का, पित्तरदेव हैं अंश उसी का।
प्रथम
पूजन प्रभु आज्ञा देते, भाग्य के द्वार आप ही खुलते।
अवधधाम
दरबार है साजे, सब देवों संग आप विराजे।
प्रसन्न
होय वांछित फल दीन्हा, कुपित होय बुद्धि हर लीन्हा।
पित्तर
की महिमा सबसे न्यारी, जिसका गुणगावे नर नारी।
तीनों
लोक में आप बिराजे, बसु रुद्र आदित्य बन साजे।
नाथ
सकल संपदा तुम्हारी, मैं सेवक समेत सुत नारी।
छप्पन
भोग नहीं हैं भाते, शुद्ध जल से तृप्ति हैं पाते।
तुम्हारे
भजन परम हितकारी, छोटे बड़े सभी अधिकारी।
सूर्योदय
संग आप पुजावै, पांच अँजुलि जल पे रिझावे।
ध्वज
पताका मण्डप साजे, ज्योति अखण्ड में आप विराजे।
सदियों
पुरानी ज्योति तुम्हारी, धन्य हुई जन्मभूमि हमारी।
हिन्दू
मुस्लिम सिख ईसाई, सब कोई पूजे पित्तरों को भाई।
धर्म
सनातन वृक्ष है हमारा, जान से ज्यादा हमको प्यारा।
सरयू
मनोरमा प्रदेश हमारा, पितृ तर्पण परिवेश हमारा।
बन्धु
छोडे़ना इनके चरणाँ, इनकी कृपा से मिले प्रभु शरणा।
चैदस
को जागरण करवाये, अमावस को भोग लगावे।
धन्य
जन्म जिनमे ये फूल है, पितृमण्डल की मिली धूल है।
पित्तर
देव भक्त हितकारी, सुन लीजे प्रभु अरज हमारी।
निशिदिन
ध्यान धरे जो कोई, तासम भक्त और नहि कोई।
तुम
अनाथ के नाथ सहाई, दीनन के हो तुम सदा सहाई।
चारो
वेद प्रभु के साखी, तुम भक्तन की लज्जा राखी।
नाम
तुम्हारो लेत जो कोई, तासम धन्य और नहीं कोई।
जो
तुम्हरे नित पाँवन लोटत, नवों सिद्धि चरणन में लौटत।
सिद्धि
तुम्हारी मंगलकारी, जो तुम पे जावे बलिहारी।
जो
तुम्हरे चरणन चित्त लावे, ताकी मुक्ति जरुर हो जावे।
सत्य
भजन तुम्हरो जो गावे, सो निश्चय चारों फल पावे।
तुमहिं
देव कुलदेव हमारे, तुम्हीं गुरुदेव प्राण से प्यारे।
सत्य
आस मन में जो होई, मनवांछित फल पावें सोई।
तुम्हरी
महिमा बुद्धि बड़ाई, शेष सहस्र मुख सके न गाई।
मैं
अतिदीन मलीन दुखारी, करहुं कौन विधि विनय तुम्हारी।
पितृदेव
दया दीन पर कीजै, अपनी भक्ति शक्ति कछु दीजै।
संकट
विघ्न सब हर लीजे , अपना
आशीर्वाद मोहि दीजे।।
दोहा
पित्तरों
को स्थान दें, तीरथ और स्व ग्राम।
श्रद्धा
सुमन चढ़ें वहां, पूरण हो सब काम।।
बस्ती
अवध विराजते, पित्तर हमारे महान।
दर्शन
से जीवन सफल , पूजे सकल जहान।।
जीवन
सफल हो जाएगा है बस्ती अवध धाम।
पित्तृ
चरण की धूल से जीवन सफल महान।।
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