Friday, June 30, 2017

धन्यवाद ए. एस. आई आगरा मण्डल आगरा

 विनम्र निवेदन
मेरे प्रिय साथियों,
कल दिनांक 30 जून 2017 को आपने औपचारिक रुप से मुझे मेरे दायित्वों से मुक्त करते हुए भाव भीनी विदाई दे दी है। अधिकांश साथियों ने मुझे फेस टू फेस विदाई दी। कुछ हमारे साथी बाहर रहने के कारण प्रत्यक्ष ना रहकर अपनी शुभकामनायें सोसल मीडिया के जरिये मुझ तक पहुचाने का प्रयास किये। मैं सभी प्रत्यक्ष तथा दूरस्थ साथियों का हृदय से आभार तथा शुक्रिया अदा करता हॅू। साथ ही निवेदन करता हूं कि मेरे चार्ज के स्थान्तरण के दौरान बड़ी संख्या में पुस्तकें मिसिंग पायी गयी हैं। इसे समाप्त किया जाना है। यह काम मैं आप सबके सहयोग से ही सम्पन्न कर सकूंगा। जैसे आपने मुझे पिछले 30सालों से सहयोग किया और हमारे सभी सुख दुख में मेरा साथ देकर मुझे मूल धारा में जोडने का प्रयास किया। उसी प्रकार अब आगरा से विदा होते समय भी सहयोग करते हुए यदि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण आगरा मण्डल पुस्तकालय की कोई भी पुस्तक आपके पास हो या आपने अपने किसी मित्र साथी को दे रखी हो तो उसे एक बार अपने घर मित्र मण्डली से जरुर पता करने की कोशिस करें। आपकी यह कोशिस मेरे लिए बहुत ही उपयोगी सिद्ध हो सकती है। इन खोये पाये हुए पुस्तक को आप मुझे या मेरे उत्तराधिकारी डा. महेन्द्रपाल जी को लौटाने की कृपा करें। इस सहयोग के लिए मैं आपका आजीवन आभारी रहूंगा और आपके उज्जवल भविष्य तरक्की तथा स्वास्थ्य के लिए परम पिता परमेश्वर से दुवा करता रहूंगा।
आभार सहित बहुत बहुत धन्यवाद।
डा. राधेश्याम द्विवेदी
पूर्व पुस्तकालय एवं सूचनाधिकारी
आगरा मण्डल आगरा

दिनांक 1 जुलाई 2017.

पुस्तकालय अधिकारी की विदाई सम्पन्न


आगरा 30 जून 2017 भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण आगरा मंडल आगरा के सहायक पुस्तकालय एवं सूचनाधिकारी डा. राधेश्याम द्विवेदी का 30 वर्ष की सरकारी सेवा के उपरान्त आज एक सादे आयोजन में भवभीनी विदाई दी गयी। आज उनके सेवा काल का आखिरी दिन था। 12 मार्च 1987 को बडोदरा मंडल से सेवा करते हुए उन्होंने 30 साल 3 माह 20 दिन की सेवा सकुशलता से पूरी कर ली है। उन्होंने अपने सामर्थ और क्षमता के अनुसार भारत सरकार का तथा प्रदेश तथा देश की जनता का सेवा करने का प्रयास भरपूर प्रयास किया है। इतिहास पुरातत्व तथा पुस्तकालय विज्ञान के विद्यार्थी के रूप में उन्होंने 30 साल के अपने कार्यकाल में अपने सारे दायित्वों को बखूबी से निभाया है। कार्यक्रम की अध्यक्षता अधीक्षण पुरातत्वविद् डा. भुवन विक्रम तथा संचालन सहायक अधीक्षण पुरातत्वविद् श्री आर के सिंह ने किया। प्रारम्भ में श्री सिंह ने डा. द्विवेदी जी का संक्षिप्त परिचय दिया तथा उनकी साफ सुथरी छवि की सराहना की। इसके बाद अधीक्षण पुरातत्वविद् डा. भुवन विक्रम, अपाधीक्षण पुरातत्वविद् श्री मती के ए कबुई , सहायक अधीक्षण पुरातत्वविद श्रीमती सुश्री विक्रम, सहायक अधीक्षण अभियन्ता श्री पी माहौर तथा श्री राज नारायण ने  द्विवेदी जी को माल्यार्पण तथा पुष्प गुच्छ देकर सम्मानित किया। अधीक्षण पुरातत्वविद डा. विक्रम ने डा. द्विवेदी जी के कार्य की सराहना की तथा सभी प्रकार के सहयोग का आश्वासन भी दिया। डा. विक्रमं ने पूरे कार्यालय परिवार के तरफ से  द्विवेदी जी को प्रतीक भेट तथा रामचरित मानस की प्रति भी प्रदान किया। उन्होंने कहा कि द्विवेदी जी एक खुली किताब की तरह हैं। उन्होंने पुस्तकालय में रहकर पूरा ज्ञान बांटा है तथा लागों को जागरुक तथा प्रेरक संदेश दिया है। उनकी पूर्ति संभव नहीं है। वे बेदाग छवि के अधिकारी रहे हैं। वे अपने दायित्वों को बखूबी निभाते रहे हैं। उन्होने द्विवेदी जी के स्वस्थ जीवन की कामना व्यक्त की है। उपाधीक्षण पुरातत्वविद् श्री मती के . कबुई ने डा. द्विवेदी जी के प्रतिभा का बखान किया है। सहायक अधीक्षण पुरातत्वविद श्रीमती सुश्री विक्रम ने डा. द्विवेदी जी के शान्त व्यक्तित्व सरल स्वभाव की सराहना की। वे वेवजह लोगों से कम मिलते थे। अपने काम से काम रखते थे। सहायक अधीक्षण अभियन्ता श्री पी माहौर ने स्वास्थ्य की कामना के साथ परिवार को भरपूर समय देने की बात कही। सहायक अधीक्षण अभियन्ता श्री राज नारायण ने आगे भी कार्यालय को जरुरत पड़ने पर मार्गदर्शन देते रहने का आवाहन किया। सहायक पुरातत्वविद् डा. महेन्द्रपाल ने अपने प्रभार हस्तान्तरण की बातों पर जोर देते हुए द्विवेदी जी के कार्य की सराहना तथा कुशलता की कामना व्यक्त की है। विश्व प्रसिद्ध ताज महल तथा फतेहपुर सीकरी स्मारकों के प्रभारी वरिष्ठ संरक्षण सहायक श्री मुनज्जर अली ने द्विवेदी जी के द्वारा चुने हुए कम शब्दों में अपनी बात कहने, कविता तथा लेखों से लोगों को मार्गदर्शन देने तथा राजभाषा तथा अन्य आयोजनों के निभाने के लिए सराहना की। साथ ही खुशहाल तथा स्वस्थ जीवन की भी कामना व्यक्त की।
सभा के अन्त में पुस्तकालय एवं सूचनाधिकारी डा. राधेश्याम द्विवेदी ने कार्यालय के अच्छे माहौल तथा कार्य संस्कृति का जिक्र करते हुए सभी के सहयोग से दायित्वों को निभाने की बात कही। उन्होने अपने आने वाले उत्तराधिकारी को भरपूर सहयोग देने का आहवान भी किया और पुस्तकालय कार्य में सबसे सहयोग की मांग की। उन्होंने लोगों को आर्शीवचन देते हुए मंगल कामना की। उन्होने अपने कार्यकाल में जाने अनजाने में हुई त्रुटियों के लिए क्षमा याचना भी किया। वह भविष्य में आवश्यकता पड़ने पर सहयोग करने का भी बचन दिया। सब मिलाकर कार्यक्रम सादा भावुक एवं सारगर्भित रहा।

(समाचार संकलनः अंकित सिंह)