नई दिल्ली। आल इण्डिया मेडिकल पीजी परीक्षा इस बार नीट के नाम से हुआ
था। पूरे देश में केवल एक ही प्रवेश परीक्षा करायी गयी है। जो दिसम्बर 2016 में नीट
के जरिये आयोजित हुई थी। इससे भारत सरकार के मेडिकल कालेज के 50 प्रतिशत सीटों का चयन
तथा राज्यों के 50 प्रतिशत तथा व्यक्तिगत तथा सरकारी कालेजों के चयन की प्रक्रिया पूरी
की जाती है। साथ ही पूरे देश की डी एन बी प्रवेश के चयन की परीक्षायें भी नीट के जरिये
होता है। भारत सरकार तथा कई राज्य सरकारों ने अपनी चयन प्रक्रिया पूरी कर ली थी। कई
पूरा करने वाले थे। उत्तर प्रदेश में भी यह प्रक्रिया अपने अन्तिम चरण में थी। 25 मई
2017 से कई दिनों तक माप अप राउण्ड भी लगभग पूरा कर लिया गया था। ए एम यू और बी एच
यू की प्रकिया कुछ बाकी रह गयी थी। इसमें राज्य सरकार ने वाहरी राज्यों से पास करने
वाले छात्रों को प्रवेश देकर कुछ अनियमिततायें कर दिया था, जिसके विरुद्ध इलाहाबाद
उच्च न्यायालय में डा. राम दिवाकर वर्मा नेे रिट प्रार्थनापत्र दाखिल किया था। इस पर
तथा उ. प्र. राज्य सरकार द्वारा सही पैरवी ना करने के कारण इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सारी प्रक्रिया को निरस्त
कर दिया था। आदेश के बाद यूपी सरकार ने मेडिकल पीजी में दाखिले के लिए हुई काउंसलिंग
निरस्त कर दी है। हाईकोर्ट ने मेडिकल पीजी कक्षाओं में नए सिरे से काउंसलिंग कराकर
प्रवेश सूची जारी करने के आदेश दिए थे।
डा.राम दिवाकर वर्मा के रिट प्रार्थनापत्र पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने
कहा कि दूसरे प्रदेशों से एमबीबीएस करने वाले पीएमएस डॉक्टर पीजी में दाखिला पाने के
लिए अर्हता नहीं रखते हैं। इसके अलावा हाईकोर्ट ने एएमयू व बनारस हिंदू विवि में अपने
एमबीबीएस छात्रों के लिए 50 फीसदी कोटे को भी निरस्त कर दिया है। हाईकोर्ट ने प्रदेश
के राजकीय मेडिकल कॉलेजों, विवि व संस्थानों की ही तरह एएमयू व बीएचयू में भी दाखिले
देने के लिए कहा है। हाईकोर्ट के आदेश के बाद मेडिकल पीजी में प्रवेश पाने वाले 53
पीएचएमएस डॉक्टरों के दाखिले निरस्त हो गये हैं। ये वे डॉक्टर हैं, जिन्होंने दूसरे
प्रदेशों से एमबीबीएस करने के बाद सूबे के स्वास्थ्य विभाग में नौकरी कर ली है। यूपी
सरकार ग्रामीण व दुर्गम इलाकों में काम करने वाले पीएचएमएस सेवा के डॉक्टरों को पीजी
कोर्स के दाखिले में वेटेज देती है। स्टेट कोटे के तहत एडमिशन सूबे से एमबीबीएस करने
वालों को ही मिलता है।
उत्तर प्रदेश सरकार अपनी कमियों को छिपाते हुए माननीय उच्चतम न्यायालय से पुनः काउंसिलंग के लिए
अनुमति मांगी थी कि माप राउण्ड के छात्रों के विद्वान अधिवक्ता ने सही स्थिति अवगत
कराते हुए प्रदेश सरकार के आवेदन पर पारित आदेश में संशोधन करवाया और अपनी बात कही
कि चयन प्रक्रिया प्रवेश तथा फीस जमा हो चुकी है। चिकित्सकों के क्लास भी चलने लगें
हैं एसे में री-काउंसिलिंग का औचित्य नहीं बनता है। माननीय न्यायालय ने इसे मानते हुए
अनेक रिट पेटिशनों के आने के कारण सुनवाई 6 जून 2017 को एक बंच में सुनने का वादा किया
है।
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