श्रीगुरु वशिष्ठ मानव सर्वांगीण विकास सेवा समिति का अनूठा प्रयास :- आज यमुना सत्याग्रह के दसवें स्मृति
दिवस के अवसर श्रीगुरु वशिष्ठ मानव सर्वांगीण विकास सेवा समिति के तत्वावधान में एक गोष्ठी व चिन्तन कार्यक्रम
पं. अश्विनी कुमार मिश्र की अध्यक्षता में सम्पन्न हुई। 13 जून 2008 को रोपित वट वृक्ष
अपना पूरा आकर ले लिया है। जिसकी शाखायें व छाया सामाजिकता से जुड़ने की प्रेरणा देती
हैं। उस समय संकल्पित कार्य विलम्ब से ही सही पर आगरा नगर में दिखने लगी है। यद्यपि
अभी बहुत कुछ काम किया जाना बाकी है। यमुना के शुद्धिकरण अविरलता एवं निर्मलता के लिए
पूर्वांचल देव आराधना तथा श्रीगुरु वशिष्ठ मानव सर्वांगीण विकास सेवा समिति आम जनता
में लगभग 1990 के दशक से सक्रिय है। पूर्वांचल से जुड़े होने तथा आगरा में भगवान सूर्यदेव
की पूजा की समुचित व्यवस्था ना होने के कारण उक्त संस्थाओं का अस्तित्व बनने का सौभाग्य
आया। फलस्वरुप समाज में फैली तमाम अव्यवस्थाओं पर कार्य करने का अवसर भी बना। इन संस्थाओं
द्वारा यमुना नदी के प्रदूषण के गम्भीर समस्या के प्रति प्रदर्शनों, विचार गोष्ठियों
और विचार मंथन द्वारा जागरुक किया जाता रहा है। जनता के सांस्कृतिक ,सामाजिक तथा हाईजनिक
प्रभावों के बारे में अवगत कराया जाता रहा है। उन्हं शुद्ध पेय जल की उपलब्धता के बारे
में जानकारी दिया जाता रहा है। 1994 में यमुना के पानी के बंटवारे पर एक समझौता हुआ
था। दिल्ली जल बोर्ड के पूर्व अधिकारी रमेश नेगी के अनुसार समझौते के तहत दिल्ली को
हरियाणा से पेयजल की जरूरत के लिए यमुना का पानी मिलना तय हुआ था। बदले में दिल्ली
से उत्तर प्रदेश को सिंचाई के लिए पानी मिलना था, लेकिन विडंबना देखिए हरियाणा जहां
अपने कारखानों के जहरीले कचरे को दिल्ली भेज रहा है वहीं दिल्ली भी उत्तर प्रदेश को
अपने गंदे नालों और सीवर का बदबूदार मैला पानी ही सप्लाई कर रही है।
हस्ताक्षर अभियान :- आगरा में
2008-10 तक लगभग 35 हजार लोगों ने हस्ताक्षर अभियान चलाया गया था। यमुना में निश्चित
मात्रा में प्रवाह बनाए रखने के संबंध में, साथ ही अनेक मांगों को लेकर हस्ताक्षर अभियान
चलाया गया था। लोगों में जन चेतना पैदा करना, यमुना की समस्याओं को लोगों को बताना
तथा लोगों का यमुना के प्रति संकल्प पैदा करना इस हस्ताक्षर अभियान की मूल मंशा थी।
राष्ट्रीय स्तर पर भी अनेक विन्दु हैं जिन पर प्रदेश सरकार भारत सरकार तथा पड़ोसी राज्य
की सरकारों के सहयोग से विस्तृत कार्य योजना तैयार किया जा सकता है।
आगरा से सत्याग्रह का आगाज :- भारतीय सांस्कृतिक विरासत और विकास
की पोषक जीवन दायिनी नदियां वर्तमान में अपने अस्तित्व के संकट से जूझ रही हैं। गंगा
यमुना तहबीज का देश इन नदियों का वेदर्दी से दोहन एवं शोषण कर कुपोषण की स्थिति तक
ले आया है। वर्तमान में पवित्र पावनी यमुना एक गन्दे नाले की शक्ल में दिखाई देती हैं।
यह अतीत की कई एतिहासिक नगरों के विकास की परिचायक रही है। यमुना नदी विशेषकर दिल्ली
आगरा मथुरा में भयावह स्थिति से गुजर रही है। वजीराबाद दिल्ली के बाद यमुना नदी में
प्राकृतिक जल नगण्य हो जाता है। यह प्रायः मृतपा्रय हो जाती हैं। इसमें अवशोधित औद्योगिक
एवं घरेलू उत्सर्जन के सिवाय कुछ भी दिखाई नहीं पड़ता है।जीवन दायिनी नदियों की भयावह
स्थिति से निपटने के लिए प्रो.स्व.जी.डी. अग्रवाल द्वारा परम गंगा की धारा को निर्वाध
बहने के लिए मणिकर्णिका घाट वाराणसी में आमरण अनशन प्रारम्भ किया गया था। यमुना की
दुदर्शा से आन्दोलित तथा व्यथित होकर पं.अश्विनी कुमार मिश्र के साहचर्य एवं नेतृत्व
में अनिश्चितकालीन क्रमिक सत्याग्रह का शुभारम्भ 13 जून 2008 से आगरा के जमुना किनारा
मार्ग पर कामच्छा देवी मंदिर के सामने स्थित हाथीघाट पर शुरु किया गया था। इसमें सभी
शहरवासियों से इस क्रमिक अनशन में भाग लेने के लिए अपील की गयी थी। इस अनशन में यमुना
की अविरलता तथा स्वच्छता से सम्बन्धित ग्यारह सूत्री मांग भी प्रस्तुत की गयी थी। लगभग
2100 से ज्यादा दिवसों तक चलने वाला यह दीर्घकालीन जलसत्याग्रह विश्व के सबसे बड़े सत्याग्रहों
में एक था। इसे राष्ट्रीय स्तर पर व्यापक समर्थन मिला हुआ था । इस सत्याग्रह को गांधीवादी
नेता डॉ. एस.एन. सुब्बाराव के अलावा जल पुरुष श्री राजेंद्र सिंह तथा कांग्रेस नेता
श्री भोला पांडे भी समर्थन दे चुके हैं। यमुना रक्षक दलों की अनेक पद यात्राएं-यमुना
रक्षक दल द्वारा आगरा में कई महीने से पदयात्रा की तैयारियां की जा रही थीं।
13.06.2008 शुक्रवार को करीब चार सौ यमुना प्रेमी आगरा से विभिन्न जत्थों में वृंदावन
रवाना हुए। एक बस हाथीघाट पर कामच्छा देवी मंदिर से प्रातः रवाना हुई थी। जिसका नेतृत्व
यमुना सत्याग्रही पं.अश्विनी कुमार मिश्र ने किया था। यमुना की रक्षा को सबसे पहले
मशाल आगरा में जली थी। यह लगातार लगभग पांच साल से रोशनी दे रही है। यमुना के शुद्धिकरण
और उसके संरक्षण की कामना के साथ आगरा से भी सैकड़ों श्रद्धालु वृंदावन पहुंचे और संतों
द्वारा निकाली गयी पदयात्रा में कदम से कदम मिलाया। यमुना रक्षक दल द्वारा आगरा में
कई महीने से पदयात्रा की तैयारियां की जा रही थीं। एक बस हाथीघाट पर कामच्छा देवी मंदिर
से प्रात रवाना हुई। जिसका नेतृत्व यमुना सत्याग्रही पं.अश्विनी कुमार मिश्र ने किया।
इस जत्थे में धर्मेंद्र यादव, पं.रामचरन शर्मा, सूबेदार मेजर ओमप्रकाश शर्मा, राजेश
अरोड़ा, योगी राजपूत आदि शामिल थे। मनकामेश्वर मंदिर से महंत योगेश पुरी आधा दर्जन कार्यकर्ताओं
के साथ एक वाहन से वृंदावन रवाना हुए। उनका कहना था कि हथिनीकुंड से जल शुद्ध मिलेगा,
तभी आगरा वासियों को राहत मिल सकेगी। आगरा कैंट से एक जत्था रवाना हुआ, जिसमें नीरज
यादव, राजेश निगम, प्रेमशंकर यादव, दीपक बिंद्रा, मनोज तिवारी, धीरज मोहन, प्रदीप यादव
शामिल थे। सिकंदरा से जाने वाले यात्रियों में अश्विनी कुमार, नरेंद्र शुक्ला, पं.तुलाराम
शर्मा, रेखा वर्मा प्रमुख थे।
जीवन दायिनी यमुना नदी की भयावह स्थिति से निपटने तथा यमुना
के शुद्धिकरण अविरलता एवं निर्मलता के लिए श्रीगुरु वशिष्ठ मानव सर्वांगीण विकास सेवा
समिति के बैनर के नीचे यमुना सत्याग्रही पं.अश्विनी
कुमार मिश्र के सानिघ्य में यह जल सत्याग्रह करीब 6 साल अनवरत हाथीघाट तथा नगर व क्षेत्र
के अन्य सार्वजनिक स्थलों पर चलाया जाता रहा है। इसके जन जागरुकता चर्चा परिचर्चा तथा
सांस्कृतिक व धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किये जाते रहे हैं। इसके अगली कड़ी के रुप में यमुना रक्षक दल गठित कर लगभग 200 गांवों, कस्बों
मुहल्लो तथा पुरास्थलों का सर्वेक्षण भी किया गया। यमुना सत्याग्रही ने कदी सौकड़ों
सभाओं, मीटिगों सम्मेलनों में सक्रिय सहभागिता निभाई। इसके लिए अमेरिका सहित देश के
अनेक नगरों में होने वाले प्राकृतिक सम्मेलनों में भी सहभागिता निभाई गयी। यमुना महोत्सव,
तैराकी उत्सव, यमुना विचार मंथन महा पंचायत, हस्ताक्षर अभियान, जल वेदना रैली, यमुना
चित्रांकन कार सेवा, वृक्षारोपण, यमुना महा आरती, शोभायात्रायें, अन्य सामाजिक धार्मिक
सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से जन जागृति अभियान चलाया गया। इतना ही नहीं यमनोत्री
से संगम इलाहाबाद तक की यात्रा भी सम्पन्न की गयी है।
आगरा के चयनित दस घाट:- श्रीगुरु वशिष्ठ मानव सर्वांगीण विकास सेवा समिति के संस्थापक अध्यक्ष पं.अश्विनी कुमार मिश्र के
दिनांक 6.8.2009 के पत्र के संदर्भ में 17.8.2009 को यमुना के किनारे रोड को चैड़ीकरण
एवं उसके किनारे पार्को व घाटों के सौन्दर्यीकरण व पर्यावरण के सम्बन्ध में आगरा के
आयुक्त महोदया माननीया एस. राधा चैहान की अध्यक्षता में एक बैठक आयुक्त सभागार में
हुई थी। इस पत्र का संदर्भ संख्या 1034/ एस.टी. दिनांक 7.8.2009 है। जिसमें जवाहरलाल अरबन रुरल मिशन रिवर
फण्ड के अन्तर्गत 65 करोड. रुपये का प्रस्ताव निदेशक स्थानीय निकाय के माध्यम से भारत
सरकार को भेजा जाना था। इस प्रस्ताव में आगरा के दस घाटों के सौन्दर्यीकरण का प्रस्ताव
था। ये घाट हंै - कैलाश घाट, बल्केश्वर घाट, राधा नगर घाट, जमुना किनारा घाट, दशहरा
घाट, मेहताबबाग घाट, एत्माद्दौला घाट, चीनी का रोजा का घाट व जोहारा बाग का घाट आदि।
इस मामले में कोई भी प्रगति ज्ञात नहीं हो सकी है। इस मामले को पुनः उठाकर आगरा की
कायाकल्प की जा सकती है।
6 जुलाई 2017 को विशाल नृत्य नाटिका :- नटरांजलि थियेटर आर्ट के कलाकार तीन
दिवसीय कार्यशाला तथा कला प्रदर्शन का कार्यक्रम रंग ताज महोत्सव के रुप में कर रहे
हैं। इसका उद्घाटन हाथीघाट के खुले मंच पर यमुना आरती के साथ दिनांक 6 जुलाई को होने
वाला है। श्रीगुरु वशिष्ठ मानव सर्वांगीण विकास सेवा समिति द्वारा यह आयोजन किया जा रहा है। हाथीघाट पर भारत
के विभिन्न अंचलों से आये 150 कलाकारों का एक विशाल नृत्य नाटिका का आयोजन किया जा
रहा है। ये सब सांस्कृतिक कार्यक्रम आम जनता को पर्यावरण स्वच्छता आदि से जोड़ने के
लिए ही किया जा रहा है। इस घाट सांस्कृतिक कार्यक्रम आम जनता को पर्यावरण स्वच्छता
आदि से जोड़ने के लिए ही किया जा रहा है। इस घाट का यदि प्रशासन निगरानी करे तो यह आगरा
का एक मनोरम स्थल विकसित किया जा सकता है।
No comments:
Post a Comment