Saturday, June 17, 2017

18 जून : पितृ दिवस -डा. राधेश्याम द्विवेदी


वागर्थाविव सम्पृक्तौ वागर्थप्रतिपत्तये ।
जगतः पितरौ वन्दे पार्वतीपरमेश्वरौ ॥१॥
(For the right comprehension of words and their senses, I salute Parvati and  Parameshwara, the parents of the world, who are perpetually united like words and their meanings.)

यहाँ पितरौ शब्द की व्याख्या में माता भी छिपी हुई है।  'माता च पिता च पितरौ'। स्त्रीत्व के गुण और पुरुत्व के गुण एक मानव में एकत्र होते हैं, वहीं मानव ज्ञान का परमोच्च रूप है। केवल नारी के गुण मुक्ति के लिए उपयोगी नहीं हैं। मुक्ति पाने के लिए नर और नारी के गुण इकट्ठे आने चाहिए। इसलिए द्वैत निर्माण होते ही भगवान में नारनारी दोनों के गुण एकत्र हुए। उमा-महेश्वर में पौरुष, कर्तव्य, ज्ञान और विवेक जैसे नर के गुण हैं, उसके साथ-साथ स्नेह, प्रेम, वात्सल्य जैसे नारी के गुण भी हैं, इसलिए वह पूर्ण जीवन है। वाक्-वाणी एवं उसका अर्थ मिलकर हुए वागर्थ। ये आपस में घनिष्ठ रूप से जुड़े रहते हैं। ऐसे वागर्थ की तरह जुड़े हुए, संसार के माता-पिता पार्वती एवं परमेश्वर की मैं वंदना करता हूं, वाक्-वाणी एवं उसके अर्थ की ठीक समझ के लिए। वाक्-वाणी एवं उसके अर्थ की ठीक समझ के प्रयास में मैं भी लगा हुआ हूं। कुछ समझा भी बाकी का शेष है। 

पिता दिवस या फ़ादर्स डे पिताओं के सम्मान में एक व्यापक रूप से मनाया जाने वाला पर्व है जिसमें पितृत्व (फादरहुड), पितृत्व-बंधन तथा समाज में पिताओं के प्रभाव को समारोह पूर्वक मनाया जाता है। विश्व के अधिकतर देशों में इसे जून के तीसरे रविवारको मनाया जाता है। कुछ देशों में यह अलग-अलग दिनों में मनाया जाता है। यह माता के सम्मान हेतु मनाये जाने वाले मातृ दिवस का पूरक है पितृ दिवस की शुरुआत बीसवीं सदी के प्रारंभ में पिताधर्म तथा पुरुषों द्वारा परवरिश का सम्मान करने के लिये मातृ-दिवस के पूरक उत्सव के रूप में हुई. यह हमारे पूर्वजों की स्मृति और उनके सम्मान में भी मनाया जाता है। फादर्स डे को विश्व में विभिन तारीखों पर मनाते है -जिसमें उपहार देना, पिता के लिये विशेष भोज एवं पारिवारिक गतिविधियाँ शामिल हैं।आम धारणा के विपरीत, वास्तव में फादर्स डे सबसे पहले पश्चिम वर्जीनिया के फेयरमोंट में 5 जुलाई 1908 को मनाया गया था। कई महीने पहले 6 दिसम्बर 1907 को मोनोंगाह, पश्चिम वर्जीनिया में एक खान दुर्घटना में मारे गए 210 पिताओं के सम्मान में इस विशेष दिवस का आयोजन श्रीमती ग्रेस गोल्डन क्लेटन ने किया था। प्रथम फादर्स डे चर्च आज भी सेन्ट्रल यूनाइटेड मेथोडिस्ट चर्च के नाम से फेयरमोंट में मौजूद है। विश्व के अधिकतर देशों की संस्कृति में माता-पिता का रिश्ता सबसे बड़ा माना गया है। भारत में तो इन्हें ईश्वर का रूप माना गया है। यदि हम हिन्दी कविता जगत की कवितायें देखें तो माँ के ऊपर जितना लिखा गया है उतना पिता के ऊपर नहीं। कोई पिता कहता है, कोई पापा, अब्बा, बाबा, तो कोई बाबूजी, बाऊजी, डैडी कहता है। इस रिश्ते के कितने ही नाम हैं पर भाव सब का एक है। सबमें एक सा प्यार सबमें एक सा समर्पण।


विश्व पितृ दिवस की शुरुआत 20 वीं सदी के प्रारम्भ में बताई गई है। कुछ जानकारों के मुताबिक 5 जुलाई 1908 को वेस्ट वर्जेनिया के एक चर्च से इस दिन को मनाना आरम्भ किया गया। रुस में यह 23 फरवरी, रोमानिया में 5 मई, कोरिया में 8 मई, डेनमार्क में 5 जून, ऑस्ट्रिया बेल्जियम के लोग जून के दूसरे रविवार को और ऑस्ट्रेलिया व न्यूज़ीलैंड में इसे सितम्बर के पहले रविवार और विश्व भर के 52 देशों में इसे जून माह के तीसरे रविवार को मनाया जाता है। सभी देशों इस दिन को मनाने का अपना अलग तरीका है। एक पुराने  भजन की पंक्तियाँ याद आ जाती हैं -
पिता ने हमको योग्य बनाया, कमा कमा कर अन्न खिलाया।
पढ़ा लिखा गुणवान बनाया, जीवन पथ पर चलना सिखाया।।
जोड़ जोडकऱ अपनी सम्पत्ति को,  हमें बनवा दिया बड़ा हकदार।
हम पर किया है बड़ा उपकार, श्रद्धा से करते हैं नमस्कार।।

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