केंद्र के पशु बाजारों में
गाय की खरीद-फरोख्त पर प्रतिबंध लगाने के बाद, फैसले के खिलाफ विरोध जताने के लिए
केरल के कई हिस्सों में 'बीफ फेस्ट' का आयोजन किया गया। केरल में सत्तारुढ़ माकपा
की अगुवाई वाली एलडीएफ, विपक्षी कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूडीएफ
और उनके युवा प्रकोष्ठों ने मार्च निकाले और राज्यभर में उत्सव का आयोजन किया।
कोच्चि में तो राज्य के पर्यटन मंत्री के. सुरेंद्रन ने भी इस फेस्ट में हिस्सा
लिया। केरल में बड़े पैमाने पर गोमांस की खपत होती है। केंद्र सरकार ने
बीफ के लिए पशु बाजार से जानवरों की खरीद-फरोख्त पर प्रतिबंध लगा दिया है। इस कदम
से मांस और चमड़े के निर्यात और व्यापार के प्रभावित होने की आशंका है। सूबे की
राजधानी में सचिवालय के बाहर प्रदर्शन हुए और प्रदर्शनकारियों ने सड़क के किनारे
गोमांस पकाया और उसे बांटा। राज्य की राजधानी में सचिवालय के बाहर
विरोध प्रदर्शन किया गया। यहां प्रदर्शनकारियों ने बीफ पकाकर सड़क के किनारे लोगों
को वितरित किया। विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे डीवाईएफआइ के राष्ट्रीय अध्यक्ष
मोहम्मद रियाज ने कहा, 'केंद्र सरकार के खिलाफ विरोध दर्ज कराने के लिए हम बीफ
खाएंगे। हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को यह बताना चाहते हैं।'
कांग्रेस
पार्टी हिन्दू विरोधी:- कांग्रेस
पार्टी का इतिहास हिन्दू विरोधी रहा है। गांधी जी राम का नाम तो लेत थे परन्तु तुलनात्मक
रुप में वह मुस्लिमों को ज्यादा महत्व देते थे। नेहरु परिवार भी मूलतः हिन्दू परिवार
ना तो रहा और ना ही उनकी आस्था रही। गंगाधर नेहरु असल में एक सुन्नी मुसलमान थे जिसका
असली नाम गयासुद्दीन गाजी था। अंग्रेजों के कहर के डर से वे अपना नाम बदलकर गंगाधर
नेहरु रखे थे। जो हिन्दू नाम अपनाने के बावजूद हिन्दू ना बन पाये थे। उनकी हिन्दू धर्म
पर विश्वास नहीं था। ‘डिस्कबरी आफ इण्डिया’ पुस्तक को छद्म रुप में लिखा गया था। इन्दिरा
जी व फिरोज गांधी भी हिन्दू नहीं रहे। राजीव व सोनिया जी भी हिन्दू नहीं रहीं । राहुल
जी भी अपने परिवार के नक्शे कदम पर ही चल रहें हैं। राजनीतिक मजबूरी में ये लोग खुलकर
हिन्दू का विरोध नहीं कर पाते, परन्तु अन्तर्मन से जुड़ भी नहीं पाते हैं। यह बात और
है कि पहले दो बैलों की जोड़ी फिर गाय और बछड़ा और अब पंजा चुनाव निशान उन्होंनें हिन्दुओं
को भ्रमित करने के लिए ही चयनित किया है। यह परिवार हमेशा से ही राष्ट्रीय सेवक संघ
का विरोधी रहा है। पहले तो दलित तथा मुस्लिमों ने इस पार्टी को खूब महत्व दिया। बाद
में क्षेत्रीय दलों के उदय से वोट वैंक में सेघ लग गई और दिन प्रतिदिन कांग्रेस सत्ता
से दूर हटती जा रही है।भाजपा को सांप्रदायिक पार्टी साबित करने के अतिशय उत्साह में कांग्रेस की यह स्थिति पैदा हुई। इसकी शुरुआत गुजरात से हुई थी। नरेंद्र मोदी को पराजित करने की ज़िम्मेदारी जिन पर थी उनके पास 2002 दंगों के बाद बनी मोदी की छवि का कार्ड था। 2007 के चुनाव में जैसे ही सोनिया गांधी ने उन्हें ‘मौत का सौदागर’ कहा, मोदी ने उसे गुजरात की अस्मिता से जोड़ दिया। इसके विपरीत कांग्रेस ने धर्मनिरपेक्षता और अल्पसंख्यकों के संरक्षण से जुड़े क़दम जब भी उठाए, भाजपा उन्हें ‘हिंदू विरोधी’ साबित करने में कामयाब रही।
केन्द्र
सरकार के नीति का विरोध असंवैधानिक:-
केन्द्र सरकार के नीति का विरोध करना ना तो राज्य के हित में है और ना ही प्रजातंत्र
के। जहां वीफ को मर्यादित ढ़ंग से मनाने की छूट है वहीं भारतीय संविधान द्वारा चुनी
हुई भारत सरकार को खुली चुनौती देना असंवैधानिक तथा देश विरोधी भी है। राष्ट्र के लिए कलंक गौमाता हत्यारी काँग्रेस को भारतीय जनता ऐसा जबाब देगी कि यह विदेशी मूलक पार्टी इतिहास बन जायेगी । कांग्रेस ने खाली ये गाय नही काटी बल्कि 100 करोड़ हिन्दुओ को चुनौती दी है I इससे ज्यादा तो देश की बहुत
बड़ी आवादी की भावनाओं का सम्मान ना करते हुए खुलेआम एसी अनैतिक हरकत करना भी देश विरोधी
की श्रेणी में आता है। एसी सरकार को शीघ्र बरखास्त कर देना चाहिए। केरल उच्च न्यायालय
तथा उच्चतम न्यायालय को शायद यह कृत्य दिखाई ना पड़ा हो। स्वतः संज्ञान लेने के अधिकार
का प्रयोग करना भी शायद उन्हें अच्छा ना लग रहा है। समझदार हिन्दू यदि सड़क पर ना उतरें
तो उनकी भावना का ख्याल करना भी माननीय न्यायालय के समझ में नहीं आ रहा है। इस उत्तेजनात्मक
कार्य से कानून व्यवस्था भी प्रभावित हो सकती है। राज्य सरकार को इससे कुछ भी लेना
देना नहीं है। पर भारत सरकार को तो इसे राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में देखना ही चाहिए।
इसे नजर अन्दाज करना देश हित में कदापि नहीं होगा। इस कृत्य की घोर निन्दा होनी चाहिए
तथा केरल सरकार के विरुद्ध राष्ट्रव्यापी आन्दोलन भी चलाया जाना चाहिए।
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