आचार्य पं. मोहन प्यारे द्विवेदी ‘मोहन’ (01.04.1909-15.04.1989) स्मृति पखवारा
29वी
पुण्य
तिथि 15-04-2017 पर
सादर
श्रद्धांजलि
बाबा
तेरी ज्योति से ज्योति, हर
पल जलती जाती है ।
दुनिया
की झंझावातों से वह, कभी
नहीं बुझ पाती है ।।
जब
एक भी दीया जलता
है, सारी दुनिया प्रकाशित होती है।
जब
एक बुद्धत्व को पाता है,
हजारों रसधार तब बहती है।।
यह
श्रृंखला कभी ना रुकती है,
इससे ही परम्परा बनती
हैं।
ज्ञान
चक्षु से सन्त व
सज्जन, इसको सद्मार्ग बनाती है।।
प्ंच
भूतों के पुंज मात्र
नहीं, तुम परम तत्व के आत्मा थे।
दुनिया
में रहकर भी तुम , जग
की जड़ता के हरता थे।।
शिक्षा
की अलख जगाया तूने, लाया घर घर में
उजियारा।
गांव
के अनेक कुरीतियों को, ज्ञान चक्षु से किया हरियारा।।
सदाचार
सत्कर्म विचार रख , सब जन को
सदगति देता है।
कीचड़
में भी रहकर कमलदल,
पानी में हरदम तैरता है।।
ज्योति
से ज्योति जलती जाती , प्रेम की गंगा बहती
है।
राहगीर
सब दीन दुखी के, पथ का प्रदर्शन
करती है।।
कौन
है ऊँचा कौन है नीचा, सब
में वो ही समाया
है।
भेद
भाव के झूठे भरम
में, ये मानव सब
भरमाया है।।
सारे
जग के कण में
बसती, दिव्य अमर की एक आत्मा।
एक
ब्रह्म और एक सत्य
है, एक ही बनता
है परमात्मा।।
तेरे
उन्तीसवां तिथि आज, जीवन शक्ति भरती जाती है।
बाबा
तेरी ज्योति से ज्योति, हर
पल जलती जाती है ।।
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