ताजमहल
शाहजहाँ द्वारा बनाया गया मकबरा है अथवा प्राचीन हिन्दू मंदिर यह शोध का विषय है। शंकराचार्य
के पूर्व भी कई लोग ताजमहल के मंदिर होने का दावा करते रहें है. उनकी भांति मैं भी
सिर्फ इतना कहना चाहता हूँ कि सत्य सामने आये. ब्रिटिस जमाने में जब 1905 में अंग्रेजो
ने फूट डालो- राज करो नीति के अंतर्गत बंगाल का सांप्रदायिक
आधार पर विभाजन किया और वहां हिन्दू-मुस्लिम दंगे
होने लगे थे तब जॉन मार्शल ने वायसराय को
पत्र लिखा था कि बंगाल की
तरह अवध का विभाजन करने की जरूरत नहीं है . केवल ताजमहल के बंद कमरों को खोलने की जरूरत है और अवध में भी बंगाल जैसे
हालत हो जायेंगे.(सन्दर्भ: Awadh in revolt by
R. Mukherjee)
अर्कालाजिकल
सर्वे आफ इण्डिया लगभग 160 वर्ष पुरानी संस्था है, इसका गठन अंग्रेजों ने 1860
में किया था.
पहले इसका नाम इण्डियन अर्कालाजिकल सर्वे था. इसमें अलेक्जेन्डर कनिंघम जैसे सैन्य
अधिकारियों को इसका डायरेक्टर जनरल बनाया गया था इनकी इतिहास या पुरातत्व की कोई खास
समझ नहीं थी. तब एएसआई का मुख्य कार्य महलों मंदिरों-किलों की खुदाई कर बहुमूल्य खजाने
को लन्दन पहुचाना था. अलेक्जेन्डर कनिंघम जैसे सैन्य अधिकारियों ने भारतीय इतिहास को
जिस प्रकार तोड़ कर लिखा, आज उसी को प्रामाणिक माना जाता है. अलेक्जेन्डर कनिंघम ने
कब्र इंतजामिया को ताजमहल से बाहर किया और सात मंजिला ताजमहल के मुख्य मकबरे को छोड़
कर शेष 500 कमरों में ताले लगवा दिए, जो आज भी लगे हुए हैं. (सन्दर्भ देखे- कनिघम की1870 की डायरी).
वायसराय
लार्ड कर्जन ने 1902 में सर जॉन मार्शल को एएसआई का डायरेक्टर जनरल बनाया,
दोनों ही घोर साम्राज्यवादी थे. भारत की सभी ऐतिहासिक इमारतों को एएसआई के अधीन कर
दिया गया (जो कि आज भी है). दुनिया के अन्य देशों में अर्कालाजिकल सर्वे का कार्य सर्वे
तथा खुदाई करना है न कि इतिहास की व्याख्या करना और टूरिज्म चलाना.
1947 में एक अंग्रेज इतिहासकार स्टीफन नैप भारत आया था, बाद में वह हिन्दू
हो गया
था.
एक इतिहासकार के रूप में उसने ताजमहल का निरीक्षण किया था. उसका कहना था
कि ताजमहल के बंद कमरों में हिन्दू मूर्तियां है जो कि शाहजहाँ के समय से इन कमरों
में भरी हैं. स्टीफन नैप ने ताजमहल की दुर्लभ तस्वीरें ली थी जो आज भी इन्टरनेट पर
उपलब्ध हैं. (इन्हें http://stephenknapp.com/
was_ the_taj_ mahal_ a_vedic_ temple .htm लिंक पर देखा
जा सकता है).
पूर्व समय में एक आरटीआई के उत्तर में एएसआई ने किसी को
जानकारी दी है कि ताजमहल में लगभग 500 कमरे बंद हैं. इन्हें कब खोला गया था, इसका पता नहीं हैं. इन कमरों में क्या है इसका पता नहीं हैं.
2004 में एक संस्थान द्वारा इलाहबाद हाई कोर्ट में भारत सरकार के टूरिज्म सचिव तथा
डायरेक्टर जनरल एएसआई
के विरूद्ध भारतीय संविधान के अनुच्छेद
226 के अधीन सिविल मिसलेनियस रिट पिटीशन No. 3618 of 2004 लगाई गयी थी.
इस मुकदमें में निम्न विन्दुओं को दर्शाया गया है.
1. That the full facts and circumstance of
the case are given in accompanied writ petition, it is most respectively prayed
that an ad-interim-mandamus by appointing a facts finding committee for
exposing the falsehood of the Archaeological department regarding the
historical blunder committed by them in respect of their purported claim set-up
in declaring Taj-Mahal, Red- fort Agra, Fatahpur –Sikiri and other ancient
Hindu buildings/ monuments as Muslim monuments and truth may be disclosed to
the public/citizens and students in subject of history regarding their true
authorship prior to Mughal period in furtherance of their fundamental rights
conferred to the Citizens under Article 19 (1) (a), 25 and 26 read with49 and
51-A(f) (h) of Constitution of India and Freedom Of Information Act, 2002.
2. That it is further prayed that an ad-interim-Mandamus directing the respondent authorities after due Scientific investigation and facts finding inquiry report, the respondents in particular the Archaeological Survey of India may Declare and Notify in terms of the true history, as the Taj Mahal was not built by Shahajahan and thereby directing the Archaeological Survey of India to remove the notices displayed by them in the Taj Mahal premises crediting Shahjahan as its creator and to futher desist from writing / publishing / proclaiming / propagating and teaching about Shahjahan being the author of Taj Mahal and stop and discontinue the free entry in Taj Mahal premises on Fridays in the week.
2. That it is further prayed that an ad-interim-Mandamus directing the respondent authorities after due Scientific investigation and facts finding inquiry report, the respondents in particular the Archaeological Survey of India may Declare and Notify in terms of the true history, as the Taj Mahal was not built by Shahajahan and thereby directing the Archaeological Survey of India to remove the notices displayed by them in the Taj Mahal premises crediting Shahjahan as its creator and to futher desist from writing / publishing / proclaiming / propagating and teaching about Shahjahan being the author of Taj Mahal and stop and discontinue the free entry in Taj Mahal premises on Fridays in the week.
3. That it is further prayed that an
ad-interim mandamus directing the respondent authorities in particular
Archaeological Survey of India 1)-to open the locks of upper and lower portions
of the 4 storied red stone building of Taj Mahal having numbers of rooms, 2)-to
remove all bricked up walls build later blocking such rooms therein, 3)-to
investigate scientifically and certify that which of those or both cenotaphs
are fake,4)-to look for a subterranean storey below the river bank ground
level, 5)-to look into after removing the room-entrance directly beneath
the basement cenotaph-chamber.6)- by removing the brick and lime barricade
flocking the doorway, 7)-to look for important historical evidence such as
idols and inscriptions hidden inside there by the Shahjahan’s orders as truth
may not make us rich but the same will make us free from superstitions and
false propaganda.
इसमें कहा गया कि एएसआई
को निर्देश दिया जाए कि वह बंद कमरे खोले. इस पर सरकार ने जवाब दिया कि ऐसा करना लोक
हित में ठीक नहीं होगा. मामला अभी कोर्ट में है. 2010
में बीबीसी की टीम ने ताजमहल पर एक डॉक्यूमेंट्री बनायी और ताजमहल के मंदिर होने को
ही प्रमाणिक माना है.
इसे बीबीसी ने कई बार टीवी पर दिखाया. जिसका लिंक है – http://www.bbc.co.uk/dna/place-london/plain/A5220
जो
भी हो भारत सरकार
यदि ताजमहल के सभी बंद
कमरों का ताला खोलवा देती है तो सारी असलियत स्वयं सामने आ जाएगी और सच्चा इतिहास उजागर हो जाएगा .
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