Saturday, July 27, 2024

लिटिल फ्लावर स्कूल बस्ती के आस- पास जाम की समस्या बरकरार

बस्ती। गुरु वशिष्ठ की बस्ती नगरी में जाम की समस्या कम नही हो रही है। लोग शिक्षा और विद्यालय को मिशन के बजाय धन उगाहने का साधन बना लिए हैं। वे इसे एक फलता फूलता व्यवसाय का हथकंडा बना लिये हैं। जहां उन्हें जगह खाली मिली , वहीं  विद्यालय भवन बनाते जा रहे हैं। इससे भीड़ और जाम पर नियंत्रण नहीं हो पाता है। इसकी वजह व्यस्त इलाकों में जगह जगह खुले स्कूल हैं।  गांवों से बच्चों को भरकर लिटिल फ्लावर स्कूल बस्ती की बसें जब एक साथ आनंद नगर , सुरेंद्र नगर , कटरा , बस्ती कचहरी रोड या मुडघाट रोड जैसे आबादी वाले क्षेत्र में घुसती हैं तो हर तरफ जाम ही जाम और अस्त व्यस्त स्थिति दिखाई देता है। सुबह और फिर दोपहर में इस इलाके के रहने वाले नागरिकों को घंटों जाम में बर्बाद हो जाता है ।   आनंद नगर ( तथाकथित सुरेंद्र नगर ) कटरा जो पुलिस कप्तान के दफ्तर से महज 100  मीटर दूर है। कलेक्ट्री और दीवानी कचहरी से भी लगभग इतनी ही दूर है बहुत खराब स्थिति में है। इसमें सरकारी अफसरों के बच्चे भी पढ़ने आते हैं। लाल बत्ती वाली सरकारी गाड़िया भी इस जाम में फसी देखी जा सकती  है। ये साहबान भी कोई व्यक्तिगत रुचि नहीं लेते हैं। इनके बच्चे इनके सरकारी गाड़ी और सरकारी ड्राइवर द्वारा पहुंच ही जाते हैं। स्कूल खुलने और छुट्टी के समय शहर में लग रहा भीषण जाम, राह चलना मुश्किल हो जाता है। सभी बच्चों की टाइमिंग भी एक ही रहती है, जो जाम को और बढ़ा देती है। न तो स्कूल वाले ना पुलिस वाले और ना ही कोई संस्था ही इस पहलू पर ध्यान दे रही है।

यदि हर प्रवेश निकास गली पर एक-एक गार्ड भी रख दिया जाए, तो प्रवेश करने वाला स्थानीय निवासी किसी वैकल्पिक रास्ते का चयन कर कुछ दुश्वारियां कम कर ही सकता है। यातायात पुलिस यदि थोड़ा प्रशिक्षण यहां के गार्डो को देकर स्कूल के प्रवेश के तीन चार द्वारों पर विद्यालय के बाहरी गाड़ियों को रोकवा कर सुरक्षित मार्गों से दाईवर्ट करवा भी सकते हैं।   विद्यालय की मान्यता देते वक्त मानक पर ध्यान नहीं दिया जाता है। बच्चो के प्ले ग्राउंड तक नहीं होते। सड़के सही नहीं, नालियां ठीक नही। विद्यालय के पास कूड़े के ढेर देखे जा सकते है।नालियों का पानी सड़क पर फैलता रहता है। साढ़, गाय और बंदरों की टोली में बच्चे अभिभावक और शिक्षण स्टाफ भी फंस जाते हैं। यदि इस विद्यालय या पास की आबादी में कही आग लग जाए तो एंबुलेंस या फायर ब्रिगेड तक स्कूल तक नही पहुंच सकता है। संरक्षक अपने अपने दो या चार पहिया वाहन से और ज्यादा भीड़ बढ़ा देते हैं। ज्यादातर गृह स्वामिनिया इस समस्या से जूझती देखी जा सकती हैं।

        बच्चों की छुट्टियों के समय परेशानी न होने पाए, इसके लिए अतिरिक्त यातायात पुलिस या विद्यालय वालों की ड्यूटी लगाई जा सकती है। अगर, शहर के बाहर कक्षा पांचवीं से ऊपर के छात्रों का स्कूल खुल जाएं तो शहर में जाम से राहत मिलेगी और उन लोगों को भी सहूलियत हो जाएगी, जिनके मरीज की तबीयत खराब होने पर जाम में फंस के परेशान होना पड़ता है।

       जब छुट्टियां होती हैं तो स्कूल के बच्चे तो जाम में फंसते ही हैं,शहर के लोग भी मुश्किलों का सामना करते हैं। अगर कक्षा पांच से ऊपर के बच्चों के लिए शहरी सीमा से बाहर स्कूल खुल जाएं तो बहुत हद तक जाम से राहत मिल  सकता है। बड़े शैक्षणिक संस्थानों को शहर से बाहर शिफ्ट करने की पहल होनी चाहिए। इन स्कूलों के प्राइमरी स्तर की पढ़ाई शहर में हो और उससे ऊपर की कक्षाओं का संचालन शहर के बाहर होना चाहिए। साथ ही शहर में सुरक्षा के मानकों की कड़ाई से पालन कराया जाना चाहिए।